1975 में इंग्लैंड में हुआ था वर्ल्ड कप का पहला मैच, कुछ इस तरह बढ़ा सफर
1975 में इंग्लैंड में हुआ था वर्ल्ड कप का पहला मैच, कुछ इस तरह बढ़ा सफर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वर्ल्डकप 2019 का काउंटडाउन शुरु हो चुका है। 30 मई से शुरु हो रहे वर्ल्डकप के 12वें संस्करण में इस बार 10 टीमें राउंड रॉबिन फॉर्मेट में आपस में भिड़ेगी। यह पांचवीं बार है जब वर्ल्डकप इंग्लैंड में खेला जा रहा है। इससे पहले इंग्लैंड ने 1975, 1979, 1983 और 1999 में वर्ल्डकप होस्ट किया था। वर्ल्डकप 2019 का पहला मैच 30 मई को ओवल मैदान में मेजबान इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका के बीच खेला जाएगा। वहीं फाइनल मैच ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर 14 जुलाई को खेला जाएगा। हमारी इस रिपोर्ट में पढ़िए अब तक आयोजित किए गए सभी वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में क्या रहे नतीजे और कैसे बढ़ा वर्ल्ड कप का सफर।
किसी भी प्रकार की वर्ल्ड चैम्पियनशिप की शुरुआत 1912 में हुई थी, जब तत्कालीन टेस्ट खेलने वाले देशों ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के बीच त्रिकोणीय श्रृंखला खेली गई थी। इसके बाद 1975 तक इस तरह का कोई आयोजन नहीं हुआ। पहला आईसीसी वर्ल्डकप (ऑफिशियली इसे प्रूडेंशियल कप कहा जाता था) 1975 में इंग्लैंड में आयोजित किया गया था। इस टूर्नामेंट में छह टेस्ट खेलने वाले देशों इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वेस्ट इंडीज, भारत और पाकिस्तान ने भाग लिया था। वहीं श्रीलंका और पूर्वी अफ्रीका से इससे बाद में जुड़े थे।
पहले वर्ल्डकप टूर्नामेंट की सफलता के बाद दूसरी बार यह 1979 और फिर 1983 में इंग्लैंड में ही आयोजित किया गया था। इसके बाद से ICC ने इस टूर्नामेंट को हर चार साल पर आयोजित करने का फैसला लिया था। इसके साथ ही वर्ल्डकप को अलग-अलग देशों में भी आयोजित किया जाने लगा। पहले तीन वर्ल्डकप में एक पारी 60 ओवर की होती थी। 1987 में इसे घटाकर 50 कर दिया गया था और तब से यही चला आ रहा है।
ऑस्ट्रेलिया ने सबसे ज्यादा पांच बार वर्ल्डकप अपने नाम किया है। जबकि भारत और वेस्टइंडीज ने 2-2 बार वर्ल्डकप जीता है। इसके अलावा श्रीलंका और पाकिस्तान ने 1-1 बार वर्ल्डकप ट्रॉफी अपने नाम की है। आइए जानते हैं कि अब तक खेले गए हर एक वर्ल्डकप के फाइनल मैच में विजेता टीम ने किस प्रकार जीत हासिल की थी।
2015 वर्ल्डकप ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में संयुक्त रूप से खेला गया था। मेजबान ऑस्ट्रेलिया माइकल क्लार्क के नेतृत्व में फाइनल में जगह बनाने में कामयाब हुआ था। वहीं सामने न्यूजीलैंड की टीम थी। न्यूजीलैंड के कप्तान ब्रेंडन मैकुलम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। पहले बल्लेबाजी करते हुए न्यूजीलैंड की टीम 45 ओवर में 183 रन पर ऑल आउट हो गई। न्यूजीलैंड की ओर से ग्रांट इलियट ने सबसे ज्यादा 83 रन बनाए थे। वहीं रॉस टेलर ने 40 रन की पारी खेली थी। ऑस्ट्रेलिया के मिचेल जॉनसन ने 3 और मिचेल स्टार्क ने 2 विकेट झटके थे। 184 रनों के लक्ष्य को ऑस्ट्रेलियन टीम ने 34वें ओवर में 3 विकेट के नुकसान पर हासिल कर लिया था। ऑस्ट्रेलिया की ओर से कप्तान माइकल क्लार्क ने सबसे ज्यादा 74 रन बनाए थे। वहीं स्टीव स्मिथ ने 56 रन और डेविड वार्नर ने 45 रन की पारी खेली थी। ऑस्ट्रेलिया ने पांचवीं बार वर्ल्डकप ट्रॉफी अपने नाम की थी।
2011 का यह वर्ल्डकप भारत और श्रीलंका के बीच खेला गया था। श्रीलंका के कप्तान कुमार संगाकारा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका ने माहेला जयवर्धने की शतक के बदौलत 50 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 274 रन बनाए थे। जयवर्धने ने 88 गेंदों पर 103 रन की पारी खेली थी। वहीं संगाकारा ने 48 रन बनाए थे। 275 रनों के लक्ष्य को भारतीय टीम ने गौतम गंभीर और कप्तान एमएस धोनी की शानदार पारी की बदौलत 49वें ओवर में हासिल कर लिया था। 31 रन के कुल स्कोर पर महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और विस्फोटक ओपनर विरेंद्र सहवाग को खोने के बाद गौतम गंभीर ने पारी को संभाला था। उन्होंने पहले तो विराट कोहली और फिर धोनी के साथ मिलकर मैच जीता दिया था। गंभीर ने 97 रन की पारी खेली थी। वहीं धोनी 91 रन बनाकर नाबाद रहे थे। धोनी ने यह मैच छक्का लगाकर समाप्त किया था। यह वर्ल्डकप सचिन का अंतिम वर्ल्डकप साबित हुआ। भारत ऐसा पहला देश बना जिसने अपने होम ग्राउंड पर वर्ल्डकप जीता हो।
यह वर्ल्डकप न्यूजीलैंड में खेला गया था। ऑस्ट्रेलियन टीम ने वर्ल्ड क्रिकेट में अपना दबदबा कायम रखते हुए फाइनल में जगह बनाई थी। 38 ओवर के इस मैच ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 4 विकेट के नुकसान पर 281 रन बनाए थे। विस्फोटक ओपनर एडम गिलक्रिस्ट ने 104 गेंदों पर 13 चौके और 8 छक्के की मदद से 149 रनों की पारी खेली थी। 282 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी श्रीलंका की टीम 36 ओवर में 215 रन पर सिमट गई। श्रीलंका की ओर से सनथ जयसूर्या ने सबसे ज्यादा 63 रन बनाए। वहीं कुमार संगाकारा ने 54 रनों की पारी खेली थी। ऑस्ट्रेलिया ने डकवर्थ लुइस नियम के आधार पर यह मैच 53 रन से जीता था। ऑस्ट्रेलिया ने चौथी बार वर्ल्डकप अपने नाम किया था।
यह वर्ल्डकप साउथ अफ्रीका में खेला गया था। भारतीय टीम दूसरी बार (1983) वर्ल्डकप फाइनल में जगह बनाने में कामयाब हुई थी। जबकि सामने डिफेंडिंग चैंपियन ऑस्ट्रेलियन टीम थी। भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया था। पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर धुनाई की थी। ऑस्ट्रेलिया ने 50 ओवर में 2 विकेट के नुकसान पर 359 रन बनाए थे। कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने 121 गेंदों पर 140 रन की पारी खेली थी। जबकि डेमियन मार्टिन ने 88 रन बनाए थे। 360 रनों के पहाड़ जैसे लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम 39.2 ओवर में 234 रन ही बना सकी। भारत के लिए विरेंद्र सहवाग ने सबसे ज्यादा 82 रन बनाए थे। वहीं राहुल द्रविड़ ने 47 रन की पारी खेली थी। इन दोनों के अलावा कोई भी बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियन गेंदबाजी के आगे नहीं टिक सका। सचिन तेंदुलकर 4 रन और सौरव गांगुली 24 रन ही बना सके। ग्लेन मैकग्राथ ने 3 विकेट झटके थे। जबकि ब्रेट ली और एंड्रू साइमंड्स ने 2-2 विकेट लिए थे। ऑस्ट्रेलिया ने यह मैच 125 रन से जीता था। इस जीत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया लगातार दूसरी बार और कुल मिलाकर तीसरी बार वर्ल्डकप ट्रॉफी अपने नाम किया था।
1999 का वर्ल्डकप लंदन में खेला गया था। इसबार पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की टीमें आमने-सामने थीं। पाकिस्तान दूसरी बार और ऑस्ट्रेलिया तीसरी बार वर्ल्डकप फाइनल में जगह बनाने में कामयाब हुआ था। पाकिस्तान के कप्तान वसीम अकरम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था। ऑस्ट्रेलियन टीम की घातक गेंदबाजी के आगे पाक 39 ओवर में केवल 132 रन पर सिमट गई थी। ऑस्ट्रेलिया के शेन वार्न ने घातक गेंदबाजी करते हुए पाक के चार बल्लेबाजों को आउट किया। वहीं ग्लेन मैकग्राथ ने 2 विकेट लिए थे। 133 रनों के लक्ष्य को ऑस्ट्रेलियन टीम ने आसानी से 21वें ओवर में 2 विकेट के नुकसान पर हासिल कर लिया था। मार्क वॉ ने 37 रन और एडम गिलक्रिस्ट ने 54 रन की पारी खेली थी। ऑस्ट्रेलिया ने यह दूसरी बार वर्ल्डकप अपने नाम किया था।
यह वर्ल्डकप फाइनल मैच पाकिस्तान के लाहौर में खेला गया था। ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका की टीमें आमने-सामने थीं। श्रीलंका के कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करना का फैसला किया। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 241 रन बनाए थे। ऑस्ट्रेलिया की तरफ से कप्तान मार्क टेलर ने सबसे ज्यादा 74 रन की पारी खेली थी। वहीं रिकी पॉन्टिंग ने 45 रन बनाए थे। 242 रनों के लक्ष्य को श्रीलंका की टीम ने 47वें ओवर में 3 विकेट के नुकसान पर हासिल कर लिया था। श्रीलंका के दिग्गज खिलाड़ियों में शुमार डी सिल्वा ने शतकीय पारी खेल श्रीलंका को एकतरफा जीत दिलाई थी। सिल्वा ने 124 गेंदों पर 107 रन बनाए थे। वहीं गुरसिन्हा ने 65 और कप्तान रणतुंगा ने 47 रन की पारी खेली थी। इस जीत के साथ श्रीलंका वर्ल्डकप जीतने वाला तीसरा एशियाई देश बन चुका था।
यह वर्ल्डकप ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया गया था। पाकिस्तान और इंग्लैंड की टीमें आमने-सामने थीं। पाकिस्तान के कप्तान इमरान खान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए कप्तान इमरान खान के 72 रन और जावेद मियांदाद के 58 रन की बदौलत 50 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 249 रन बनाए थे। इन दोनों के अलावा इंजमाम उल हक ने 42 रन और वसीम अकरम 33 ने भी उपयोगी पारी खेली थी। 250 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की टीम 49.2 ओवर में 227 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इंग्लैंड के लिए फेयरब्रदर ने सबसे ज्यादा 62 रन बनाए। उनके अलावा कोई भी बल्लेबाज पाक की घातक गेंदबाजी के आगे नहीं टिक सका। वसीम अकरम और मुश्ताक अहमद ने 3-3 विकेट चटकाए थे। वहीं आकिब जावेद ने 2 और इमरान खान ने 1 विकेट लिए थे। इस तरह पाकिस्तान ने यह मैच 22 रन से अपने नाम किया था और वर्ल्डकप जीतने वाला दूसरा एशियाई देश (पहला भारत-1983) बन गया था।
पहली बार वर्ल्डकप इंग्लैंड से बाहर आयोजित की गई थी। 1987 का रिलायंस वर्ल्डकप भारत में आयोजित हुआ था। वहीं यह वर्ल्डकप 50 ओवर फॉर्मेट में खेला गया था। इस बार फाइनल में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीमें फाइनल में जगह बनाने में कामयाब हुई थीं। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान एलेन बॉर्डर ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था। पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने 50 ओवर में 5 विकेट खोकर 253 रन बनाए थे। ऑस्ट्रेलिया के ओपनर डीसी बून ने सबसे ज्यादा 75 रन की पारी खेली थी। वहीं वेलेट्टा ने 45 रन बनाए थे। इंग्लैंड की ओर से हेमिंग्स ने 2 विकेट झटके थे। 254 रनों का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की टीम 50 ओवर में 8 विकेट के नुकसान पर 246 रन ही बना सकी। इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने यह रोमांचक मैच 7 रन से जीत लिया था। इंग्लैंड के लिए जे एथे ने सबसे ज्यादा 58 रनों की पारी खेली थी। वहीं इंग्लैंड के कप्तान माइक गेटिंग ने 41 रन और एजे लैंब ने 45 रनों की पारी खेली थी।
उस समय की सबसे विध्वंसक टीम वेस्टइंडीज ने लगातार तीसरी बार फाइनल में जगह बनाई थी। इस बार उनके सामने भारतीय टीम थी। भारत ने इस टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह बनाने में कामयाब हुए थे। फाइनल मैच में वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने टॉस जीतकर भारतीय कप्तान कपिल देव को बल्लेबाजी करने का न्योता दिया। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम कुछ खास नहीं कर सकी और 54.4 ओवर में 183 रन पर ऑल आउट हो गई। वेस्टइंडीज की बेहतरीन बैटिंग लाइन अप के आगे यह स्कोर मामूली लग रहा था और सबने उम्मीद छोड़ दी थी कि भारत यह वर्ल्डकप जीत पाएगा। तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी। भारतीय गेंदबाजों ने वेस्टइंडीज के बेहतरीन बैटिंग लाइन अप को केवल 140 रन पर ढेर कर दिया। भारतीय गेंदबाज मदन लाल ने घातक गेंदबाजी करते हुए वेस्टइंडीज के हेंस, सर विवियन रिचर्ड्स और गोम्स जैसे दिग्गजों का विकेट लेकर भारतीय खेमे में उम्मीद जगा दी थी। वहीं मोहिंदर अमरनाथ ने वेस्टइंडीज के निचले क्रम को समेट कर भारत को जीत दिला दी थी। इस जीत के साथ भारत ने क्रिकेट में वेस्टइंडीज के विध्वंस को तोड़ इतिहास रच दिया था। अमरनाथ और मदनलाल ने 3-3 विकेट झटके थे। वहीं बीएस संधू ने 2 और कपिल देव और बिन्नी को 1-1 विकेट मिला था।
वेस्टइंडीज की टीम लगातार दूसरी बार वर्ल्डकप के फाइनल में जगह बनाने में कामयाब हुई थी। हालांकि इस बार उनके सामने एक नई टीम थी। 1979 में मेजबान इंग्लैंड फाइनल में जगह बनाने में कामयाब हुआ था। इंग्लैंड टीम के कप्तान जेएम ब्रियरले ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया था। वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 60 ओवर में 9 विकेट के नुकसान पर 286 रन बनाए थे। वेस्टइंडीज की ओर से महान खिलाड़ी सर विवियन रिचर्ड्स ने शतकीय पारी खेली थी। रिचर्ड्स ने 157 गेंदों पर 11 चौके और 3 छक्के की मदद से 138 रन की पारी खेली थी। वहीं कॉलिस किंग ने 66 गेंदों पर 86 रन बनाए थे। 287 रनों का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की टीम 51 ओवर में 194 रन पर ही ढेर हो गई। वेस्टइंडीज के महान तेज गेंदबाज जोएल गार्नर ने 5 विकेट झटकते हुए इंग्लैंड के बल्लेबाजों को टिकने नहीं दिया। इंग्लैंड की ओर से कप्तान ब्रियरली ने सबसे ज्यादा 64 रन बनाए। वहीं ज्यॉफ्रे बॉयकॉट ने 57 रन की पारी खेली थी। क्लाइव लॉयड लगातार दो वर्ल्डकप ट्रॉफी जीतने में कामयाब हुए थे।
1975 में खेले गए पहले वर्ल्डकप फाइनल में वेस्टइंडीज की टीम ने बाकी सभी टीमों को रौंदते हुए फाइनल में जगह बनाई थी। फाइनल में वेस्टइंडीज के सामने ऑस्ट्रेलिया की टीम थी। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान इयान चैपल ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया था। पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज की टीम ने कप्तान क्लाइव लॉयड के शानदार शतक की बदौलत 60 ओवर में 8 विकेट के नुकसान पर 291 रन बनाए थे। लॉयड ने 85 गेंदों पर 12 चौके और 2 छक्कों की मदद से 102 रन की पारी खेली थी। जीजे गिलमौर ने वेस्टइंडीज के 5 विकेट झटके थे। 292 रनों का पीछा करने उतरी ऑस्ट्रेलिया की टीम 58.4 ओवर में 274 रन पर ऑल आउट हो गई। ऑस्ट्रेलिया के लिए कप्तान इयान चैपल ने सबसे ज्यादा 62 रन बनाए थे। वहीं ए टर्नर ने 40 रन की पारी खेली थी। वेस्टइंडीज के केडी बॉयस ने घातक गेंदबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया के 4 बल्लेबाजों को आउट किया था।