सूरत: वेबसाइट का उपयोग करके आधार, पैन कार्ड बनाने के आरोप में 2 लोग गिरफ्तार

  • पुलिस ने दी मामले की पूरी जानकारी
  • राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करने में कथित संलिप्तता में दो लोग गिरफ्तार
  • एक वेबसाइट के जरिए आधार कार्ड, पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को करते थे तैयार

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-12 12:35 GMT

डिजिटल डेस्क, सूरत। सूरत में दो लोगों को एक वेबसाइट के जरिए आधार कार्ड, पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को तैयार करने तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करने में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया है। एक पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी।

अधिकारी के अनुसार, आरोपियों को अवैध रूप से सरकारी डेटाबेस तक पहुंचते हुए पाया गया, जो दूरगामी प्रभावों के साथ अनधिकृत पहुंच का एक गंभीर मामला है। इन दोनों को पुलिस ने 11 सितंबर को गिरफ्तार किया। अधिकारी ने बताया कि पूछताछ करने पर पता चला कि आरोपियों ने दो साल के भीतर सामूहिक रूप से करीब दो लाख फर्जी पहचान दस्तावेज बनाए थे। आरोपियों में से एक सोमनाथ प्रमोदकुमार ने कथित तौर पर इन अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कुछ व्यक्तियों से तकनीकी सहायता प्राप्त की थी। सोमनाथ ने कक्षा पांच तक पढ़ाई की है। अवैध वेबसाइट पिछले तीन वर्षों से चालू थी।

इन गिरफ्तारियों की जांच एक निजी ऋणदाता के अधिकारियों द्वारा दर्ज की गई शिकायत के बाद शुरू की गई थी। सहायक पुलिस आयुक्त (आर्थिक अपराध) वीके परमार ने कहा, ''शिकायत में ऐसे उदाहरणों का खुलासा हुआ जहां व्यक्तियों ने नकली दस्तावेजों के आधार पर ऋण लिया और बाद में पुनर्भुगतान में चूक कर दी। परिणामस्वरूप, कथित जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में छह व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया।" उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान छह आरोपियों में से एक प्रिंस हेमंत प्रसाद ने खुलासा किया कि उसने अपने पंजीकृत उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड का उपयोग करके संबंधित वेबसाइट तक पहुंच बनाई थी।

इस अवैध पहुंच के माध्यम से प्रसाद प्रति दस्तावेज़ 15-50 रुपये के भुगतान पर नकली आधार और पैन कार्ड डाउनलोड कर रहा था। कथित तौर पर आरोपी आधार और पैन कार्ड सहित लगभग दो लाख पहचान प्रमाण दस्तावेजों की जालसाजी में शामिल थे, जिन्हें बाद में उन्होंने प्रति दस्तावेज़ 15-200 रुपये तक की राशि में बेच दिया।

अधिकारी ने बताया कि इस वेबसाइट के जरिए हासिल किए गए नकली पहचान पत्रों का इस्तेमाल बैंक ऋण हासिल करने और सिम कार्ड हासिल करने जैसी विभिन्न धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए किया जाता था। इसके बाद पुलिस ने प्रमोदकुमार और उसकी मां के बैंक खातों में मौजूद 25 लाख रुपये फ्रीज कर दिए हैं। इस मामले की जांच अभी भी जारी है।

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