Panna News: सिद्धचक्र महामंडल विधान में आठवें दिन चढ़ाए गए १०२४ अध्र्य, महामंडल विधान का आयोजन हुआ पूर्ण
- सिद्धचक्र महामंडल विधान में आठवें दिन चढ़ाए गए १०२४ अध्र्य
- महामंडल विधान का आयोजन हुआ पूर्ण
- आज निकलेगी भव्य शोभायात्रा
Panna News: पन्ना जिले के बृजपुर कस्बा मुख्यालय स्थित श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन १८ नवम्बर को प्रारंभ हुआ था। आयोजन के आज ८वें दिन सिद्धचक्र महामंडल विधान में तीर्थंकर देवों को १०२४ अध्र्य स्वाहा देकर समर्पित किए गए और ८वें दिन महामंडल विधान कार्यक्रम के अंतर्गत शाम को सम्पन्न हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही सिद्धचक्र विधान मंडल का पुण्य आयोजन पूरा हो गया। सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन सम्पन्न होने पर मंगलवार दिनांक २६ नवम्बर को भव्य शोभा के साथ रथयात्रा नगर में निकाली जायेगी तथा विधान मंडल की पूर्ण आहूति पर हवन कार्यक्रम सम्पन्न होगा। सिद्धचक्र महामंडल विधान के कार्यक्रम की शुरूआत आज प्रात: प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ स्वामी के जलाभिषेक पूजन के साथ हुई आयोजन में श्रद्धालुओंद्वारा आज १०२४ अध्र्य चढाये गए।
विधानमंडल के आयोजन में पहले दिन ८ अध्र्य दूसरे दिन १६ अध्र्य, तीसरे दिन ३२ अध्र्य, चौथे दिन ६४ अध्र्य, पांचवें दिन १२८ अध्र्य, छठवें दिन २५६ अध्र्य, सातवे दिन ५१२ अध्र्य महामंडल विधान में चढाये गए थे। मंचासीन गुरूवर उपाध्याय १०८ मुनिश्री विनिश्चल सागर जी महाराज मुनिश्री विनियोग सागर जी महाराज के सानिध्य में गुरूशास्त्र की पूजा हुई। इंद्र इंद्राणियों द्वारा बनाई गई इंद्रनगर बृजपुर में महाराज श्री कहा कि हर के श्रावक सिद्धचक्र विधान मंडल करना चाहिए। सिद्धों की आराधना के बिना मोक्ष का लक्ष्य सिद्ध नहीं हो सकता। मुनि श्री ने कहा कि जैन धर्म में सिद्धचक्र विधान का विशेष महत्व है। सिद्ध शब्द का अर्थ है कृत्य-कृत्य। अनमोदन चक्र का अर्थ है समूह और मंडल का अर्थ एक प्रकार के वृताकार यंत्र से है। इनमें अनेक प्रकार के मंत्र व बीजाक्षरों की स्थापना की जाती है। मंत्र शास्त्र के अनुसार इसमें अनेक प्रकार की दिव्य शक्तियां प्रकट हो जाती है। सिद्धचक्र महामंडल विधान समस्त सिद्ध समूह की आराधना मंडल की साक्षी में की जाती है। जो हमारे समस्त मनोरथों को पूर्ण करती है। जैन दर्शन में अष्टनिका महापर्व का विशेष महत्व बतलाया गया है। मुनि श्री ने बताया कि सिद्ध चक्रमहामंडल में सौधर्म इंद्र सनत कुमार इंद्र ईशानेंद्र महेंद्र कि अहम भूमिका रही।