कर्ज के बारे में जानकारी नहीं, ब्याज माफी की मिली सूचना
डिजिटल डेस्क, पन्ना। सहकारी समितियों में मनमानी और अनियमित्तायें आम बात हो चुकी है। किसानों के नाम पर फर्जी तरीके से ऋण का बोझ भी उनके नाम पर चढ़ाते हुए किसानों को छला जा रहा है। ऐसे किसानों को सालों-सालों तक यह पता नहीं चलता कि उनके नाम पर भी ऋण चढ़ा दिया है। जबकि कभी किसानों के पास कर्ज को लेकर नोटिस पहुंचते है तो कर्ज न लेने के बावजूद किसान बैंक और सोसाइटियों से इसकी जानकारी मांगते है तो उसको कोई रिकार्ड भी नहीं दिया जाता है। सहकारी समितियों में मची भर्रेशाही को लेकर एक ऐसा ही मामला प्राथमिक साख सहकारी समिति शानगुरैया को लेकर सामने आया है। इस समिति द्वारा हाल में ही ग्राम उदयपुर निवासी कृषक चंद्रपाल दुबे जो कि सेवानिवृत्त शिक्षक है उनके नाम पर ०५ हजार ४२२ रूपए का कृषि ऋण होने और उस पर ब्याज की कुल राशि ०७ हजार ९९७ रूपए की ब्याज होने और शासन की योजना के अंतर्गत डिफाल्टर कृषकों की ब्याज राशि माफ किये जाने संबधी सूचना दी तथा समिति द्वारा ब्याज माफी को लेकर उन्हें इस संबध में हस्ताक्षर के लिए फार्म उपलब्ध कराया गया है। कृषक श्री दुबे को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने सहकारी बैंक अजयगढ और सोसायटी के कर्मचारियों को जानकारी दी गई कि उन्होंने कभी समिति से ऋण लिया ही नहीं है।
इसके बावजूद उन पर ऋण बताते हुए उन्हें डिफाल्टर घोषित किया गया है। कृषक द्वारा सहकारी बैंक के कर्मचारियो से ऋण लेने संबधी दस्तावेजों के लेखाजोखा की जब मांग की गई तो उनके द्वारा जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया गया। इस पर जब उनके द्वारा सूचना के अधिकार के माध्यम से ऋण संबधी जानकारी को लेकर पॅूछा तो उन्हें यह बता दिया कि समिति ओैर सहकारी बैंक में सूचना का अधिकार लागू नही होता है। ऋण ंसंबधी जानकारी नही मिलने से परेशान कृषक चंद्रपाल दुबे द्वारा सहायक पंजीयक सहकारी संस्थायें पन्ना को इस संबध में लिखित शिकायत दिनांक १४ जून २०२३ को की गई है तथा कहा गया हेै कि उन पर जो कूटरचित तरीके से फर्जी आधार पर तैयार किया गया ऋण पूरी तरह से अवैध है और इसकी पूर्ण जांच कर इसमें लगे समस्त दस्तावेजो की सही तरीके से जांच कराई जाये। उन्हें कहा कि उनके नाम पर सहकारी समिति शानगुरैया में सरल क्रमांक पीएएन/एसजीआर०७५/००७८ में दर्ज स्वीकृत ऋण की उच्चस्तरीय जांच कराते हुए दोषियो पर कार्यवाही की जाये।