जीवन में संयम का होना बेहद जरूरी: विराग सागर जी महाराज
डिजिटल डेस्क, पन्ना। अतिशय क्षेत्र श्रेयांशगिरी में महामुनि राज विराग सागर जी महाराज चतुरमास पर है जिनके दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का अनावरत आगमन जारी है। रविववार को श्रेयांश गिरी में आयोजित हुई एक विशेष धर्मसभा में मुनिराज विराग सागर महाराज जी ने आगुंतक भक्तो को श्रेयांश गिरी अतिशय क्षेत्र के बारे में बताते हुए कहा कि १६००-१७०० वर्ष प्राचीन यहां के बडे बाबा आदिनाथ भगवान की अतिशयकारी प्रतिमा इस बात का उदाहरण है कि उस समय बडे-बडे राजा महाराज, जैन धर्म से प्रभावित थे जिन्होने स्वयं पर्वत पर उत्खनन करवाकर प्रभु की प्रतिमाओं का निर्माण करवाया आज समय अनुसार भले यहां पर बस्ती आदि नहीं है किन्तु प्रभु का इतना चमत्कार है कि साधुजन ही नहीं दुनिया भर के लोग यहां दर्शन के लिए लालायित रहते है।
यहां पर बडे-बडे सर्प, बिच्छू, गुहेरे इत्यादि विषेलै खतरनाक विषधर यू हीं विचरण करते हैं किन्तु यहां की महिमा ही कहे कि कोई भी जानवर किसी को क्षति नही पहँुचते। मुनिराज ने श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन देते हुए कहा कि दो चीजें अवश्य होनी चाहिए एक तो संयम होना चाहिए जैसे गाडी में बे्रक होता है वैसे ही जीवन में संयम आवश्यक होता है। दूसरी चीज संयम करने वालो की सेवा करनी चाहिए क्योंकि कहते है कि संयमिमी साधु जन आहार के अलावा कुछ भी श्राविको से नहीं लेते लेकिन उनके आर्शीर्वाद से सब कुछ मिल जाता है।