पीला मोजेक ने चौपट कर दी किसानों की खरीफ की फसल
पीला मोजेक ने चौपट कर दी किसानों की खरीफ की फसल
डिजिटल डेस्क छतरपुर । प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेने से जिले के ज्यादातर किसान वंचित रह गए हंै। बीमा के संबध में कृषि विभाग द्वारा समय पर किसानों तक जानकारी न पहुुंचाने की वजह से यह समस्या आई है। फसलों का बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 अगस्त शासन द्वारा निर्धारित की गई थी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि शासन द्वारा 27 अगस्त तक जिले के लिए बीमा कंपनी का ही निर्धारण नहीं किया गया था। इससे किसानों में असमंजस की स्थिति बनी रही। शासन द्वारा 28 अगस्त को एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड को चिह्नित किया गया। जबकि फसलों की बीमा की अंतिम तिथि 31 अगस्त निर्धारित की गई थी।
बीमा हुआ नहीं और फसल हो गई खराब
समय पर फसल बीमा की जानकारी किसानों तक न पहुंचने की वजह से ज्यादातर किसान अपनी फसलों का बीमा भी नहीं करा पाए, वहीं इस बार खेत में पीला मोजेक बीमारी की वजह से उनकी फसल खराब हो गईं। ऐसे में सवाल यही उठ रहा है कि जो किसान जानकारी के अभाव में फसल का बीमा नहीं करा पाए। अब उन किसानों को फसल की क्षति का मुआवजा कैसे मिलेगा।
2 लाख 78 हजार हैं किसान
कृषि विभाग के आकड़ों के अनुसार छतरपुर जिले में कुल 2 लाख 78 हजार 381 किसान हैं। इन किसानों में से मात्र 31 हजार किसान ही 20 अगस्त तक फसल का बीमा करा सके थे। बाकी किसान बीमा नहीं करा पाए हैं, हालांकि कुछ किसान ऐसे भी हंै जो खरीफ सीजन की खेती नहीं करते हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है।
अऋ णी किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान की आशंका
जिले में कुछ ऋणी किसानों ने किसी न किसी तरह से अपनी फसलों का बीमा करा लिया, लेकिन अऋणी किसान चाहकर भी बीमा नहीं करा पाए, क्योंकि उन्हें न तो बीमा कंपनी की जानकारी थी और न ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जानकारी थी। जानकारों का कहना है कि इक्का दुक्का अऋणी किसानों को छोड़ दिया जाए तो जिले के ज्यादातर अऋणी किसान अपनी फसलों का बीमा नहीं करा पाए हंै।
विभाग बोला-अभी आंकड़े नहीं मिले
प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए 31 अगस्त अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी, लेकिन अंतिम तिथि निकल जाने के बाद भी कृषि विभाग 3 सितंबर तक यह आंकड़े नहीं जुटा पाया कि जिले में कुल कितने किसानों ने फसलों का बीमा कराया है। इन किसानों में से कितने किसान अऋणी किसान हंै और कितने ऋणी किसान हंै। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सहकारी बैंकों और नेशनलाइज बैंकों द्वारा अभी तक बीमित किसानों की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है।
पिछले साल का नहीं हुआ भुगतान
पिछले साल जिन किसानों ने अपनी फसलों का बीमा कराया था, उनमें से कई किसानों की फसलें अतिवृष्टि की वजह से खराब हुई थी, लेकिन उन किसानों को आज तक फसल बीमा योजना की राशि का भुगतान नहीं किया गया है। यही वजह है कि इस साल किसान खुद बीमा कराने के पीछे हट रहे थे। वहीं जानकारी व बीमा कंपनी तय न होने से किसान असमंजस में भी थे। उधर प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि फसल बीमा कराने वाले किसानों की संख्या मेें मामूली इजाफा हो सकता है।
फील्ड में काम के बजाय प्रेस नोट तक सीमित रहा विभाग
किसानों तक फसल बीमा की जानकारी समय पर न पहुंच पाने के संबध में कृषि विभाग के उप संचालक मनोज कश्यप का कहना है कि उन्होंने बीमा कराने के लिए प्रेस नोट जारी किया था। अब अधिकारी को कौन बताए कि उनकी जिम्मेदारी सिर्फ प्रेस नोट जारी करते तक की नहीं है, बल्कि किसानों से संपर्क कर बीमा के लिए जागरुक करने की है। ऐसे में यह भी सवाल उठ रहा है कि जब बीमा नहीं करवा सके तो विभाग का मैदानी अमला किसानों को सरकार की योजनाओं की जानकारी कैसे पहुंचाता होगा।