कोतवाली थाना अंतर्गत अनुसूचित जाति वर्ग की पीडि़त व माता-पिता घर में नहीं, सीडब्ल्यूसी ने कलेक्टर को लिखा पत्र
6 दिन से गायब नाबालिग दुष्कर्म पीडि़त कोतवाली थाना अंतर्गत अनुसूचित जाति वर्ग की पीडि़त व माता-पिता घर में नहीं, सीडब्ल्यूसी ने कलेक्टर को लिखा पत्र
डिजिटल डेस्क,छतरपुर। शहर के सिटी कोतवाली क्षेत्रान्तर्गत दुष्कर्म की शिकार हुई अनुसूचित वर्ग की नाबालिग 6 दिन से गायब है। नाबालिग बालिका को विधिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए अफसर उसे तलाश रहे हैं, लेकिन बच्ची व उसके माता-पिता नदारद हैं। महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने भी इसकी पुष्टि की है। बताया जाता है कि बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के द्वारा कलेक्टर को पत्र लिखकर इस पर चिंता जताई गई है, लेकिन प्रशासन बच्ची के गायब होने को लेकर बेपरवाह रवैया अपना रहा है।
गौरतलब है कि इस गंभीर मामले में पूर्व में पीड़ित के परिजनों ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन देकर विधिक सहायता मांगी थी। इस पर विधिक सेवा प्राधिकरण ने काउंसलर नियुक्त कर पीड़ित के घर काउंसिलिंग के लिए 6 सितंबर को भेजा था। लेकिन बालिका नहीं मिली है। तब से पीड़ित और उसके माता-पिता कई टीमों को नहीं मिल सके हैं।
सुरक्षा की चिंता : तीन विभागों को नहीं मिली पीड़ित
सूत्रों के अनुसार पीड़ित के माता-पिता सहित गायब होने को लेकर बाल कल्याण समिति ने कलेक्टर को पत्र लिखा है। इसमें बाल संरक्षण अधिकारी और बाल कल्याण समिति को पीड़ित नाबालिग को उपलब्ध कराने की मांग की गई है, जिससे पीड़ित को विधिक सहायता मिल सके और उसे सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जा सके। इस संबंध में बाल संरक्षण अधिकारी को भी पत्र लिखा गया है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने दुष्कर्म पीड़ित की मदद के लिए प्रियंका श्रीवास्तव को काउंसलर नियुक्त कर उसे पीड़ित के घर भेजा था। बताया जाता है कि काउंसलर को पीड़ित नाबालिग,उसके परिजन और माता-पिता घर पर नहीं मिले। जानकारी यह भी मिली है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी राजीव सिंह ने बाल संरक्षण अधिकारी अनिल तिवारी को भी 6 सितंबर को पीड़ित के घर भेजा, लेकिन वह घर पर नहीं मिली। तब से लगातार जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग और बाल कल्याण समिति द्वारा पीड़ित नाबालिग से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन वह और उसके परिजन घर से गायब हैं। पीड़ित और उसके परिजनों द्वारा आदिम जाति कल्याण विभाग से सहायता पाने और लोक सेवा केंद्र में जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भी आवेदन किया है। लेकिन गायब होने से उन्हें न तो सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है और न ही जाति प्रमाण पत्र बन पा रहा है। जाति प्रमाण पत्र न होने से उसे आर्थिक मदद भी रुकी है।
दुष्कर्म पीड़ित की पिटाई, गलत रिपोर्ट व उम्र के झमेले में उलझी कोतवाली पुलिस
गौरतलब है कि कोतवाली अंतर्गत 27 अगस्त को एक अजा वर्ग की नाबालिग घर से गायब हो गई थी। पुलिस ने पिता की रिपोर्ट पर 28 अगस्त को गुमशुदगी तो कायम कर ली, लेकिन एफआईआर में बच्ची की उम्र 18 साल लिखी। जब बच्ची 30 अगस्त को बरामद हुई तो उसने बाबू खान द्वारा दुष्कर्म किए जाने के आरोप लगाए। पुलिस ने लेटलतीफी करते हुए दो दिन बाद दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज की। इस बार एफआईआर में बच्ची की उम्र 17 साल लिखी गई, जबकि आधार कार्ड में बच्ची की उम्र 13 साल अंकित है। एफआईआर में बच्ची के तीन दिन तक अपहृत रहने का जिक्र नहीं है। इस पर भाजपा नेता बृजेश राय ने पुलिस पर एफआईआर में गड़बड़ी और केस को हलका करने के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद बच्ची ने सीडब्ल्यूसी के सामने दिए बयानों में कहा कि उसके साथ थाने में मारपीट गई, जिससे वह बेहोश हो गई। बच्ची की मां ने भी इसकी पुष्टि की है।
डीजीपी ने मांगी रिपोर्ट, फिर हुई कार्रवाई
अजा वर्ग की नाबालिग दुष्कर्म पीड़ित का केस हैंडल करने में पुलिस की आलोचना होने पर डीजीपी सुधीर सक्सेना ने जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद कोतवाली टीआई व दो एसआई को निलंबित कर दिया गया, लेकिन अब मामले में ताजा पेंच यह है कि पांच सिंतबर के बाद बच्ची को विधिक सहायता दिलाने के लिए जिम्मेदार अफसरों की उससे मुलाकात नहीं हो पा रही है।
बच्ची से संपर्क के प्रयास जारी
दुष्कर्म पीड़ित पक्ष से कोई मिल नहीं रहा है। उनसे संपर्क भी नहीं हो पा रहा है। हमारा प्रयास है कि एक दो दिन में वह लोग मिल जाएं। हमारी ओर से प्रयास जारी है। बाल संरक्षण कानून को लेकर पुलिस ने कार्यशाला भी आयोजित की है। इसके भविष्य में अच्छे परिणाम सामने आएंगे। पुलिस अपडेट होगी।
-राजीव सिंह, डीपीओ, महिला बाल विकास