जिले में हुआ अनूठा प्रयोग, खून चढ़ा कर बचाई मौत से जूझ रहे कुत्ते की जान
जिले में हुआ अनूठा प्रयोग, खून चढ़ा कर बचाई मौत से जूझ रहे कुत्ते की जान
डिजिटल डेस्क , नरसिंहपुर। जिन बीमारियों के लिए पशु पालकों को महानगरों की ओर दौड़ना पड़ता था उसी बीमारी का इलाज कर यहां के पशु डॉक्टर ने, न केवल मौत से जूझ रहे एक कुत्ते की जान बचाई बल्कि दूसरों के लिए एक नया रास्ता भी खोल दिया। जिले में पहली बार पशु चिकित्सा के क्षेत्र में अनूठा प्रयोग किया गया है। जब हीमोग्लोबिन कम होने की वजह से अंतिम स्टेज पर पहुंच चुके एक बीमार कुत्ते को स्वस्थ कुत्ते का खून निकालकर, खून की बॉटल चढ़ाकर उसकी जान बचाई गई।
गौरतलब है कि इंसानों को खून की कमी या रक्त स्त्राव की स्थिति में खून उपलब्ध हो जाता है, लेकिन पशुओं के लिए न तो कोई ब्लड बैंक है और न ही कोई ऐसी व्यवस्था। इसके बावजूद यहां पदस्थ एक डॉक्टर और पशु मालिक ने प्रयास किए और खून की उपलब्धता हो गई और प्रयोग कर सफलता हासिल की गई। मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय पशु चिकित्सा विभाग में पदस्थ डाक्टर राकेश बमनेले के पास सिंहपुर निवासी अनिमेष फरसोइया डाबरमेन नस्ल के कुत्ते की जांच कराने आए थे। कमजोर हो चुके कुत्ते की जांच में यह बात सामने आई कि उसका हीमोग्लोबिन बहुत कम हो गया था। डाक्टर बमनेले ने बताया कि आमतौर पर कुत्ते में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12-18 ग्राम प्रति डेसीलीटर होती। इस कुत्ते का हीमोग्लोबिन घटकर महज 2 ग्राम रह गया था।
किए प्रयास मिली सफलता
इस मामले में रक्त की उपलब्धता की समस्या सामने आई। बताया गया है कि कोई भी पशु मालिक अपने पशु का रक्त देने तैयार नहीं होता। ऐसे में अनिमेष फरसोईया के सिंहपुर निवासी एक मित्र हनी कहार मदद के लिए आगे आए और अपने कुत्ते का रक्त निकलवाने तैयार हो गए।
4 घंटे चली प्रक्रिया
स्वस्थ कुत्ते से रक्त निकालने में तो महज 5-10 मिनिट ही लगे, लेकिन बीमार कुत्ते को खून की Bottle लगाने में 4 घंटे से अधिक समय लगा। इस दौरान डाक्टर बमनेले सतत निगरानी रखे रहे और साथ में स्टाफ भी मौजूद रहा।
पशु चिकत्सा में नई आस
इस प्रयास से जिले में नई आस भी जग गई है। अभी तक ऐसी गंभीर स्थिति में जबलपुर या अन्य महानगर ही पशुओं को ले जाना पड़ता था। अब इस प्रयोग के होने के बाद अन्य पशुओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलने की बात पशु प्रेमियों द्वारा कही जा रही है।
बढ़ना चाहिए सुविधाएं
पशु चिकित्सा विभाग के सूत्रों का कहना है कि बड़े पशुओं के उपचार के लिए अभी भी परंपरागत व्यवस्थाओं पर निर्भर हैं। बड़े पशुओं के उपचार के दौरान होने वाली परेशानियों को दूर करने उपकरण मुहैया कराए जाना चाहिए।