ब्रह्मा ने श्राप से मुक्त होने स्वर्ण पर्वत पर किया था दीपेश्वर महादेव को प्रसन्न

  • नर्मदा की दो धाराओं के बीच द्वीप
  • पौराणिक मंदिर में वर्षभर रहती है भक्तों की भीड़
  • सोमेश्वर के नाम से भी प्रसिद्ध

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-14 10:46 GMT

डिजिटल डेस्क, नरसिंहपुर, कमल तिवारी। नर्मदा की दो धाराओं के बीच द्वीप स्वर्ण पर्वत पर स्थित पौराणिक मंदिर में विराजित शिवलिंग के दर्शन के लिए वर्षभर भक्तों की भीड़ रहती है। इस प्राचीन मंदिर को दीपेश्वर महादेव के साथ ही सोमेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां नर्मदा नदी की पांच कोस की परिक्रमा करते हैं। इसके बाद द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल ओंकारेश्वर में नर्मदा जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। यहां भंडारा कराया जाता है। कहते हैं कि पंचकोसी की पूर्णता यहां अभिषेक के बाद ही पूरी होती है। श्रावण मास में यहां नियमित अभिषेक-पूजन होता है। शिवरात्रि पर भी यहां विविध अनुष्ठान होते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए मंदिर के पास ही धर्मशाला भी है, जहां वे विश्राम कर सकते हैं।

स्कंद पुराण में उल्लेख

जन आस्था के अनुसार, नर्मदा के हर कण में भगवान शंकर समाहित हैं। इस पुण्यसलिला के हर घाट पर स्थित मंदिर ऐतिहासिकता लिए हुए है। इन्हीं में से एक मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले की करेली तहसील के अंतर्गत बरमान का दीपेश्वर महादेव मंदिर है। स्कंद पुराण के अनुसार, यहां ब्रह्मा ने श्राप से मुक्त होने के लिए देवों के गुरु दीपेश्वर महादेव का पूजन-अर्चन कर उन्हें प्रसन्न किया था। जिस द्वीप पर यह मंदिर स्थित है, उसे स्वर्ण पर्वत भी कहा जाता है।

चार साल पहले हुआ जीर्णोद्धार

किवदंतियों के अनुसार, दीपेश्वर महादेव ने स्वयं ही नर्मदा घाट का नामकरण ब्रह्मांडघाट किया था, जो आगे चलकर अपभ्रंश में बरमान कहलाने लगा। दीपेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग की स्थापना किस काल में हुई, मंदिर का निर्माण किसने कराया, इसे लेकर कोई प्रमाणित साक्ष्य नहीं है। मंदिर से जुड़े जानकार बताते हैं इस प्राचीन मंदिर का पुननिर्माण कार्य कालांतर में आबा साहब राजा सागर के दीवान पं. लक्ष्मण राव करकरे ने करवाया था। करीब चार साल पहले इसका स्थानीय सहयोग से जीर्णोद्धार कराया गया। यहां पवनपुत्र हनुमानजी समेत अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई है।

मुंबई से कैसे पहुंचें

- मुंबई से कोलकाता मेल, लोकमान्य तिलक टर्मिनस पटना एक्सप्रेस और लोकमान्य तिलक टर्मिनस गोरखपुर एक्सप्रेस से करेली पहुंचा जा सकता है।

- करेली रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद बस या निजी वाहनों से हाईवे 44 से बरमान के रेत या सीढ़ी घाट आधा से एक घंटे में पहुंच सकते हैं।

- इन दोनों घाट से नाव से इस मंदिर तक का सफर तय करना पड़ेगा।

- गर्मियों में जलस्तर कम होने के कारण श्रद्धालुओं के पैदल आने-जाने के लिए सीमेंट पुल बनाया गया है।

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