टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक इसे खत्म करने की कवायद

जिले में घट रहे टीबी के मरीज टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक इसे खत्म करने की कवायद

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-15 09:18 GMT
टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक इसे खत्म करने की कवायद

डिजिटल डेस्क,छतरपुर। जिले में टीबी के मरीजों की संख्या में आधी हो गई। पिछले वर्ष जहां साढ़े 14 हजार मरीज सामने आए थे, इनमें से अब सिर्फ 9 हजार मरीज बचे हैं। ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहर में मरीजों की संख्या अधिक है। ग्रामीण अंचल में मरीजों की संख्या 3 हजार के आसपास है। लेकिन शहर में यह आंकड़ा 6 हजार को छू रहा है। जिला क्षय अधिकारी डॉ.शरद चौरसिया का कहना है कि प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक टीबी को जड़ से खत्म किया जाना है। इसी के तहत जिले में जन जागरुकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। टीबी रोग को लेकर हर व्यक्ति में जागरुकता रहना चाहिए। इससे सर्तक रहने की जरुरत है। यदि दो हफ्ते तक खांसी बनी रहती है, तो अनदेखी न करें, तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। यह लापरवाही टीबी रोग को जन्म दे सकती है।

जानकारी के अनुसार एक जनवरी 2021 से 31 दिसंबर तक शहर में 441 मरीज सामने आए थे, जिसमें से 9 लोग मृत हो चुके हैं। पिछले वर्ष जिले में टीबी (क्षय रोग) के नए मरीज ढूंढकर उनका इलाज करने के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने बेहतरीन काम किया था। इसी के साथ प्रदेश में छतरपुर ने नाम रोशन किया था। वर्ष 2020-21 में जिले में लगभग आठ हजार लोगों की जांच की गई थी।, जिसमें 4426 लोग टीबी से ग्रसित पाए गए थे। हालांकि जिले में एक हजार के आस-पास एक्टिव केस थे। जिले को 3826 नए मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था, जिसमें लक्ष्य से अधिक मरीज खोजकर प्रदेश में पहला स्थान बनाया था। इस बार फिर नए मरीजों को खोजे जा रहे हैं।

टीबी की बीमारी में सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है

टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो टयूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी गले आदि में भी टीबी हो सकती है। सबसे अधिक टीबी फेफड़ों के जरिए होती है। यह हवा के जरिए एक दूसरे में फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान नाक-मुंह से निलकने वाली बारीक बूंदे इन्हें फैलाती हैं।

समय पर इलाज कराना बेहतर

टीबी खतरनाक इसलिए है, क्योंकि शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है। इसलिए टीबी के लक्षण नजर आने पर जांच जरुर कराएं।

निशुल्क मिलता है इलाज

सरकारी स्तर पर टीबी के मरीजों का निशुल्क इलाज किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें अतरिक्त सुविधाएं दी जाती हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जागरुकता अभियान चलाकर टीबी के मरीजों की खोज की जा रही है। इसके लिए विभिन्न टीमों का गठन किया गया है। टीबी के मरीजों को तलाशने के लिए दो स्तर पर टॉरगेट का निर्धारण किया जाता है। एक सरकारी तो दूसरा निजी सेक्टर। पिछली बार सरकारी स्तर पर करीब 3900 मरीज खोजने का टॉरगेट दिया गया था, जबकि प्राइवेट सेक्टर को 3114 का टॉरगेट मिला था।

सभी के सहयोग से सौ फीसदी टॉरगेट पूरा कर लिया गया था। जांच में लगभग 14500 लोग टीबी से संक्रमित पाए गए थे। इसी का नतीजा है कि टीबी जैसी संक्रामक बीमारी पर लगातार अंकुश लग रहा है। डॉ.चौरसिया के अनुसार इसके शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले तो सूखी खांसी आती है, लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्ते या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच कराना चाहिए। रात में पसीना आना भी टीबी का लक्षण हो सकता है।

 

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