स्टेट मेंटल हेल्थ प्राधिकरण के लिए हो अलग मदद

 हाईकोर्ट की अपेक्षा  स्टेट मेंटल हेल्थ प्राधिकरण के लिए हो अलग मदद

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-02 16:10 GMT
स्टेट मेंटल हेल्थ प्राधिकरण के लिए हो अलग मदद

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार अपने बजट में स्टेट मेंटल हेल्थ प्राधिकरण के लिए अलग से प्रावधान(मद) बनाए। बांबे हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उपरोक्त अपेक्षा व्यक्त की है। इससे पहले राज्य के महाधिवक्ता बिरेंद्र श्राफ ने कहा कि नियमानुसार मेंटल हेल्थ प्राधिकरण को एक करोड़ रुपए कर्ज के रुपए में दिए गए है। इसके कोर्ट ने कहा कि हम अपेक्षा करते है कि प्राधिकरण के लिए सरकार ने बजट में एक अलग मद बनाए।

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा है कि मानसिक सेहत से जुड़ी परेशानी केउपचार के बाद जिन मनोरोगियों को घर भेजा जाता है ऐसे मनोरोगियों की निगरानी किया जाना भी बहुत जरुरी है। सिर्फ मनोरोगियों को उनके परिवारवालों से मिला देना समस्या का समाधान नहीं है। हाईकोर्ट ने मनोचिकित्सकडा हरीश शेट्टी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उपरोक्त बात कहीं। कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार को श्रद्धा पुनर्वास फाउंडेशन से सहयोग लेने को कहा है। यह फाउंडेशन मनोरोगियों के कल्याण के लिए काम करता है। राज्य सरकार ने इस फाउंडेशन के साथ सामंजस्य करार भी किया है। अब तक फाउंडेशन ने ठाणे के अस्पताल में इलाज के बाद नौ रोगियों को जबकि पुणे के 17 लोगों को उनके घरवालों से मिलाया है।

इससे पहले स्टेट मेंटल हेल्थ प्राधिकरण की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति अभय अहूजा की खंडपीठ के सामने कहा कि मनोरोगियों का इलाज करनेवाले प्रतिष्ठानों से जुड़ी शिकायतों के लिए एक अलग पोर्टल भी बनाया जाएगा। इसके अलावा एक टोल फ्री नंबर जारी करने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके अलावा मनोरोगियों का इलाज करनेवाले प्रतिष्ठानों के पजीयन की प्रक्रिया भी शुरु कर दी गई है।

मनोरोगयों के पुनर्वास के लिए भी कर्जत में एक संस्था स्थापित की गई है। जिसे राज्य के समाज कल्याण विभाग ने मान्यता भी दी है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वकील प्रणती मेहरा ने खंडपीठ के सामने कहा कि इलाज के बाद मरीजों को उनके घरवालो से मिलना पर्याप्त नहीं है। घर जाने के बाद मरीजों को ठीक ढंग से रखा जाता है कि नहीं इसकी निगरानी भी जरुरी। इस पर मेंटल हेल्थ प्राधिकरण के वकील ने कहा कि हम इस मुद्दे पर विचार करेंगे।  खंडपीठ ने अब इस याचिका पर 3 मार्च को सुनवाई रखी है। 


 

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