सपना बनकर रह गया जिला मुख्यालय का खेल मैदान, रूका बाउंड्री वाल का काम
सपना बनकर रह गया जिला मुख्यालय का खेल मैदान, रूका बाउंड्री वाल का काम
डिजिटल डेस्क, नरसिंहपुर। खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए ज्यादा न सही कम से कम एक खेल मैदान तो होना चाहिए, लेकिन नरसिंहपुर में यह स्थिति उलट है। 8 साल का लंबा समय बीतने के साथ 61 लाख रूपए खर्च हो चुके हैं। इसके बावजूद अभी भी जिले का खेल मैदान खिलाड़ियों के लिए सपना बनकर रह गया है। पिछले महीने मैदान में बाउंड्री वाल का काम प्रारंभ किया गया, जो बीच में ही बंद कर दिया गया है।
गौरतलब है कि करीब एक करोड़ की लागत से 6.8 एकड़ भूमि पर सवसुविधायुक्त क्रिकेट ग्राउंड बनाया जाना था। जिसे बाद में स्व. कर्नल अजय मुशरान स्मृति क्रिकेट स्टेडियम के रूप में प्रस्तावित किया गया था। खेल और युवा कल्याण विभाग ने लोनिवि को निर्माण एजेंसी बनाया था।
2008 में मिली थी स्वीकृति
2008 में स्वीकृति के बाद कार्य प्रारंभ हुआ। दर्शक दीर्घा बनाने के लिए पत्थरों का उपयोग होना था। जिनकी अनुपलब्धता के चलते सीमेंट कांक्रीट से निर्माण प्रस्तावित किया गया।
12 मई 2012 में भूमिपूजन
मंद गति से चल रहे निर्माण के दौरान दौरान 12 मई 2012 में तत्कालीन थल सेनाध्यक्ष जनरल व्हीके सिंह, सीएम शिवराज सिंह, तत्कालीन प्रभारी मंत्री उमाशंकर गुप्ता और तत्कालीन भारत सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विवेक कृष्ण तन्खा की मौजूदगी में भूमिपूजन होने के बाद मैदान का काम शीघ्र पूर्ण होने की आस जगी, लेकिन उसके बाद भी 4 साल बीतने पर हालात जस के तस हैं।
नहीं बन पाई अधूरी दर्शक दीर्घा
खेल मैदान के लिए सबसे पहले दर्शक दीर्घा बनाने का काम शुरू किया गया। यह काम भी पूरा नहीं हो पाया है। मैदान के लिए पुराने हाई स्कूल की छोटी बिल्डिंग तो ढहा दी गई, लेकिन यहां बना एक छात्रावास भी मैदान की जद में आ रहा है। जिसके चलते एक तरफ की दर्शक दीर्घा भी अधूरी ही है। नक्शा और एस्टीमेट को देखा जाए तो आधे से अधिक राशि खर्च करने के बाद 20-25 प्रतिशत ही काम हो पाया है। नक्शा के हिसाब से वृत आकार में खेल मैदान व खिलाड़ियों के लिए पैवेलियन, वाशरूम, समतलीकरण, पानी निकासी में से महज अधूरी दर्शक दीर्घा ही बन सकी है।
ऐसे निर्माण की थी सोच
लोनिवि से मिली जानकारी के अनुसार 65 यार्ड के ग्राउंड के लिए 14 लाख 58 हजार रूपए, पानी निकासी यानि ड्रेनेज के लिए 7.50 लाख, 5 हजार दर्शकों के बैठने की दीर्घा के लिए 16 लाख 15 हजार, रिटर्निंग वाल के लिए 5 लाख 8 हजार, पिच निर्माण के लिए 2 लाख 15 हजार और खिलाड़ियों के लिए सुविधायुक्त पैवेलियन के लिए 47 लाख 30 हजार रूपए व्यय किए जाने थे।
नहीं मिली पूरी राशि
निर्माण एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि राशि की अनुपलब्धता के चलते काम प्रभावित होता रहा है। अभी तक लगभग 61 लाख रूपए प्राप्त हुए हैं। जिसमें 2008-2009 में 10 लाख रूपए, वर्ष 11-12 में 15 लाख और 30 लाख रूपए की राशि प्राप्त हुई। इसके बाद हाल ही में यानि 2016 में 6 लाख 47 हजार 315 रूपए की राशि मिली।
अंदर अधूरा, बाहर बना रहे बाउंड्री
इस खेल मैदान के लिए अंदर के काम अभी अधूरे पड़े है और दिखावे की बाउंड्री बाल बनाई जा रही है। मैदान तैयार किए जाने के साथ ही दर्शक दीर्घा, शेड और खिलाड़ियों के लिए चैंजिंग रूम, टायलेट जैसे आवश्यक निर्माण की ओर ध्यान तक नहीं दिया जा रहा है।