पहली बारिश में ट्रैक का बेस बहा, जहां दौड़ती है एनटीपीसी की कोयला गाड़ी
पहली बारिश में ट्रैक का बेस बहा, जहां दौड़ती है एनटीपीसी की कोयला गाड़ी
भास्कर ब्रेकिंग 8बरांझ स्टेशन से प्लांट तक जाने वाले नवनिर्मित ट्रैक से रेलवे ने पल्ला झाड़ा,
स्थिति भयावह फिर भी आवाजाही जारी
डिजिटल डेस्क नरसिंहपुर । अगस्त महीने में हुई जोरदार बारिश में बरांझ स्टेशन से एनटीपीसी प्लांट तक बना 13 किमी लंबा रेल ट्रैक कई स्थानों से दरक गया। कुछ स्थानों पर तो मिट्टी के छोटे-छोटे टापुओं के बीच केवल पटरी पड़ी दिखाई दे रही है, नीचे का पूरा बेस ही बह गया। कुछ जगह से पांतें व पटरी पर पकड़ बनाए रखने बिछाए जाने वाले पत्थर भी बह गए।
सूत्रों के मुताबिक ट्रैक के बेस के बहने का क्रम अगस्त-सितंबर महीने से ही शुरू हो गया था। एनटीपीसी के अफसर बीच-बीच में सुधार कार्य कर, खतरे की इस पटरी से कोयले से लदी मालगाड़ी धीमी रफ्तार से निकलवाते रहे। इसका असर यह हुआ कि करीब दर्जन भर स्थानों पर इस दौरान ट्रैक क्षतिग्रस्त हुआ। ताजा मामला सोमवार का है जबकि एक-दो स्थानों पर फिर से ट्रैक का बेस बह गया। इसके फोटोज के साथ एक शिकायत जब एनटीपीसी की एचआर हेड रचना भाले सहित वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची तब एनटीपीसी के अफसर हरकत में आए। मंगलवार को प्रोजेक्ट डिपार्टमेंट की टीम मौके पर पहुंची और स्थिति का जायजा लिया और रेल अधिकारियों व निर्माण कंपनी को सूचना दी। बताया जाता है कि रेलवे ने यह कहते हुए अपनी जिम्मेदारी से हाथ झाड़ लिए कि मेटेनेंस की जिम्मेदारी एनटीपीसी की है, जबकि इस ट्रैक को रेलवे द्वारा पिछले साल ही बनाया गया था।
रफ्तार कम कर निकाली जा रहीं कोल लोड वैगन
बरांझ रेलवे स्टेशन मास्टर सिसौदिया के मुताबिक अभी भी रोज एक-दो कोल लोड मालगाड़ी इस ट्रैक से एनटीपीसी प्लांट को जा रही हैं। श्री सिसौदिया के मुताबिक इस ट्रैकपर पहले 30 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से कोल वैगन निकाली जाती थीं लेकिन इन दिनों 10 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से कोल लोड मालगाडिय़ों की आवाजाही हो रही है। एनटीपीसी के जीएम पी.के. मिश्रा भी रफ्तार धीमी किए जाने की बात स्वीकारतेहुए तर्क देते हैं कि वजन कराने के लिए एक स्थान पर ट्रेन को धीमा किया जाता है।
दो-तीन स्थानों पर खतरनाक स्थिति
बरांझ रेलवे स्टेशन से एनटीपीसी तक के इस ट्रैक का कमीशंड यानी गुणवत्ता व सुरक्षा के मानक के परीक्षण का काम वर्तमान में रेलवे द्वारा ही किया जा रहा है। ट्रैक पर बीते दिनों 2-3 स्थानों पर पटरियों के नीचे मिट्टी ही अलग हो गई है एवं पटरियां हवा में झूल रहीं हैं। और इस खतरनाक स्थिति से अनजान बनते हुए एनटीपीसी प्रबंधन ने रात होते-होते अपना रूख बदल लिया और क्षतिग्रस्त ट्रैक के मामले को उस दूसरे ट्रैक से जोड़ दिया, जिसका अभी प्लांट छोर से काम चल रहा है।
खुलासा करने से कतरा रहे रेलवे के अफसर
एनटीपीसी के लिए इस ट्रैक का निर्माण रेलवे ने किन शर्तों पर किया और रेल ट्रैक कब से क्षतिग्रस्त है, इसका ख्ुालासा अफसर नहीं करते। गाडरवारा में पदस्थ रेलवे के सेक्शन इंजीनियर पी.आर. वर्मा के मुताबिक अगस्त महीने में कुछ स्थानों पर पानी का भराव हुआ था, जिसकी निकासी करा दी गई थी। इसके आगे की जानकारी होने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि एनटीपीसी की ओर से एसआरसी कंपनी को इसका मेंटेनेंस करना है। रेल ट्रैक के एक-दो स्थानों पर डैमेज होने की बात एनटीपीसी के महाप्रबंधक पी.के. मिश्रा भी स्वीकारते हैं। उन्होंने कहा कि जहां-जहां ट्रैक डैमेज हुआ था एसआरसी कंपनी द्वारा मेंटेनेंस कार्य किया गया है।