नरसिंहपुर: बंधा गांव के पर्यावरण प्रेमी किसान ने घर में ही तैयार की नर्सरी रोज लगाते हैं एक पौधा

नरसिंहपुर: बंधा गांव के पर्यावरण प्रेमी किसान ने घर में ही तैयार की नर्सरी रोज लगाते हैं एक पौधा

Bhaskar Hindi
Update: 2020-07-25 10:28 GMT
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डिजिटल डेस्क, नरसिंहपुर। नरसिंहपुर संकल्प प्रबल हो, तो कोई भी कठिनाई प्रगति की राह में बाधा नहीं बनती। यह साबित किया है नरसिंहपुर‍ जिले के सांईखेड़ा विकासखंड के ग्राम बंधा के किसान साहब सिंह लोधी ने। वे पिछले करीब 11 माह से लगभग हर एक- दो दिन में एक गांव में जाकर एक पौधा लगाते हैं। अब तक साहब सिंह लोधी 222 गांवों में जाकर एक- एक पौधा रोप चुके हैं। सांईखेड़ा विकासखंड के ग्राम बंधा के निवासी 52 वर्षीय किसान साहब सिंह लोधी 15 अगस्त 2019 से लगातार हर एक- दो दिन में एक पौधा लगाने का कार्य पूरे उत्साह से कर रहे हैं। उनका ध्येय है कि पर्यावरण और जल की रक्षा सभी को करना चाहिए। अपने घर पर तैयार की गई एक नर्सरी में तैयार पौधों के साथ साहब सिंह लोधी ने हर एक- दो दिन में एक पौधा लगाने का कार्य शुरू किया। साहब सिंह ने निश्चय किया कि हर दिन एक गांव में जाकर वह ऐसे व्यक्ति के यहां पौधा लगाएंगे जो उसकी सुरक्षा करे। अब तक वे 222 गांवों में एक- एक पौधा लगा चुके हैं। 22 मार्च के बाद जब लॉकडाउन घोषित हुआ तो साहब सिंह ने फैसला किया कि अब गांव के खेरापति मंदिर परिसर में जो थोड़ी सी जगह है, वे उसे ही पार्क के रूप में विकसित करेंगे और वहां पौधे लगाएंगे। इस तरह हर दिन एक पौधा लगाने से परिसर हरियाली से भर गया, तो फिर उन्होंने अपने खेत की मेढ़ पर पौधे लगाए। रोपे गए पौधों में अधिकांश पौधे पीपल, बरगद, आम, जामुन, नीम, आंवला आदि के हैं। वे ज्यादातर पौधे स्वयं नर्सरी बनाकर तैयार करते है। यदि कम पड़ते हैं तो फिर उद्यानिकी विभाग बोहानी नर्सरी से 15 रूपये प्रति पौधा की दर से पौधे खरीद लाते हैं। अभी भी उनके घर पर एक नर्सरी बनी है जिसमें घर पर लगे आंवले के पेड़ में लगने वाले आंवलों के बीज से पौध तैयार की जा रही है। तालाब बनाने की मिली स्वीकृति साहब सिंह ने बताया कि उन्हें खेत में तालाब बनाना था, जो नाबार्ड की एक योजना से स्वीकृत हो गया। अब उनके खेत में करीब 150 फीट लंबा और 50 फीट चौड़ा तालाब बनाया जा रहा है, ताकि बरसात के समय खेत का पानी तालाब में इकठ्ठा हो सके। इससे भूजल स्तर ठीक रहेगा और सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी। वे जल संरक्षण किये जाने पर भी जोर देते हैं।

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