नारी सम्मान व चरित्र की महत्वता को दिखाता हैँ नाटक 'खूबसूरत बहू'

नारी सम्मान व चरित्र की महत्वता को दिखाता हैँ नाटक 'खूबसूरत बहू'

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-19 07:59 GMT
नारी सम्मान व चरित्र की महत्वता को दिखाता हैँ नाटक 'खूबसूरत बहू'

डिजिटल डेस्क दमोह। भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद के द्वारा आयोजित किए जा रहे भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह की गुरुवार को बुंदेली हास्य नाटक खबसूरत बहू के साथ समापन हुआ। बोलियों के समकालीन रंगमंच को बढ़ावा देने के लिए आयोजित इस नाट्य समारोह में स्थानीय बोली बुंदेलखंडी में मंचित किया गया। नाग बोडस की कहानी पर आधारित यह नाटक नारी चरित्र के विभिन्न पहलुओं और उसके सम्मान पर अधारित है जिसमें वर्तमान परिवेश के मुद्दो को जोड़कर नाटक का तानावाना बुना गया है। नाटक की कहानी ग्राम के एक ऐसे परिवार की है जहां की मुखिया  चाची  युवा अवस्था में ही विधवा हो जाती है वह अपने लाड़ले भतीजे हरि को पाल पोसकर बड़ा करती है और अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए और उस का विवाह धौलपुर की खबसूरत लड़की सुमन से  कर देती है। वैधव्य का दंश झेल रही चाची अपने एकाकीपन को अपनी बहु के साथ बांटने का प्रयास करती है जिससे सुमन और हरि के संबंधो  को समय नहीं मिलता और दांपत्य जीवन का तानाबाना गड़बड़ाने लगता है।
                                                            इसी बीच गांव का  एक गंबार गुंडा लाखन सुमन के साथ छेड़छाड़ करता है  ेऔर इस छेड़छाड़ को अपने पुरुष दंभ में बदला लेने के लिए हरि लाखन की पत्नि बसंती के साथ छेडख़ानी कर देता है। छेड़छाड़ से शुरु हुई कहानी भयानक रुप लेती है जब बसंती हरि से बदला लेने के लिए सुमन से उसके पति लाखन के पैर दबवाने के लिए प्रण लेती है। मानवीय पहलुओं की इन कमजोरियों को दिखाते नाटक में हरि को दहेज में मिला धौलपुरिया बैल मिलता हर बार महिला सम्मान की रक्षा करता है जो इस नाटक का मूल है कि इंसान से ज्यादा जानवर आज नारी सम्मान को बचाने की जिम्मेदारी उठा रहा है।
                                               नाटक का निर्देशकीय पक्ष अत्यंत मजबूत है और निर्देशक राजीव अयाची ने कहानी और सभी पात्रों को पूर्णता के साथ मंच पर दिखाया है। कलाकारों का अभिनय मजबूत है और युवा कलाकारों का अभिनय लोगों को प्रभावित करता है। मंच पर हरि के रुप में आकाश सोनी, सुमन बनी शिवानी रिक्षारिया, चाची अमृता जैन व लाखन बने अनिल खरे ने कहानी के मुख्य पात्रों को निभाया है और नाटक को अपने अभिनय से सजीवता प्रदान की है। इसके साथ ही नाटक को आगे ले जाने में सूत्रधार व अमर बने पंकज चतुर्वेदी, सूत्रधार व मंटोला बने रंजीत पारोचे के साथ पटेल चाचा बने संजय रजक संजू लोगों अपनी हरकतों से हसने पर मजबूर कर देते है। अन्य पात्रो में चम्पतिया बने सचिन, बंसती बैशाली ट्विंकल सोनी, आगरे वाली साक्षी सोनी, हरिओम खरे, धौलपुरिया बैल पारस गर्ग व शुभम चक्रवर्ती का अभिनय प्रभावी रहा। संगीत पक्ष अत्यंत मजबूत रहा जिसे पिरोया है श्याम सुंदर शुक्ला ने और साथ दिया है रवि वर्मन, अक्षय रैकवार, देवेश खरे, लक्ष्मी शंकर सिंह ने वहीं मंच परे कार्यकरने वालों में ब्रजेन्द्र राठौर, संजय खरे, हर्षित व हेमेन्द्र सिंह चंदेल शामिल है।

 

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