बोर्ड परीक्षाओं में शामिल 53.4 प्रतिशत बच्चों को कर दिया था प्राइवेट, जांच के आदेश
बोर्ड परीक्षाओं में शामिल 53.4 प्रतिशत बच्चों को कर दिया था प्राइवेट, जांच के आदेश
डिजिटल डेस्क, छतरपुर। जिले में बोर्ड परीक्षाओं का बेहतर रिजल्ट दिखाने के लिए लगभग 3500 छात्र-छात्राओं को प्राइवेट घोषित कर देने के मामले को शिक्षा विभाग ने गंभीरता से लिया है। डीईओ एसके शर्मा ने मामले को गंभीर चूक मानते हुए प्राचार्यों से निर्धारित फॉरमेट में जानकारी मांगी है। दैनिक भास्कर ने इस संबंध में 25 मई के अंक में खबर प्रकाशित की थी।
डीईओ एसके शर्मा ने सभी हायर सेकंडरी व हाई स्कूलों के प्राचार्यों को संबोधित पत्र में कहा है कि वार्षिक परीक्षा 2019 में जिले में अत्याधिक संख्या में छात्रों को प्राइवेट किया गया। छात्रों को स्वाध्यायी करने का प्रतिशत 53.4 तक जा पहुंचा यानी दर्ज बच्चों में से आधे से ज्यादा बच्चों को प्राइवेट कर दिया गया। नियमित बच्चों को इतनी अधिक संख्या में प्राइवेट करना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। मंडल के नियमानुसार किसी भी छात्र को नियमित से तब प्राइवेट किया सकता है जब उस छात्र की उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम हो। ऐसे छात्रों के अभिभावक को छात्र की अनुपस्थिति की सूचना लिखित में देना चाहिए। पालक से सहमति लेकर निर्धारित फीस लेकर फिर छात्र को प्राइवेट करना चाहिए। अत: प्राइवेट छात्रों की जानकारी निर्धारित फॉरमेट में भरकर भेजें।
मॉडल स्कूल की जानकारी को झूठा बताया
इधर कलेक्टोरेट में ड्राइवर के पद पर पदस्थ कड़ा की बरिया निवासी राकेश कुमार रैकवार ने मॉडल स्कूल प्रबंधन पर उनके बच्चे आयुष के फर्जी हस्ताक्षर कर प्राइवेट कर देने का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि दसवीं के छात्र आयुष को नियमित स्कूल जाने के बावजूद बगैर सूचना के प्राइवेट कर दिया। उनके द्वारा शिकायत करने पर मॉडल स्कूल प्रबंधन ने सूचना पत्र पर छात्र के फर्जी हस्ताक्षर दर्शा दिए हैं। जबकि वास्तव में स्कूल ने कोई सूचना नहीं दी है। राकेश ने आयुष के हस्ताक्षर की हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से जांच करवाने की मांग की है, ताकि सच्चाई सामने आ सके कि उसके फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं। अभिभावक का यह भी कहना है कि उपस्थिति कम होने की सूचना बच्चे को देना चाहिए कि उसके पिता को। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि छात्र को प्राइवेट करने की फीस किसने भरी है।
फॉरमेट में प्राचार्यों से पूछा- प्राइवेट करने से पहले पालक को कितनी बार बताया
डीईओ ने निर्धारित फॉरमेट में छात्र का नाम, रोल नंबर, कक्षा के साथ प्राइवेट करने का कारण, पालक को कितनी बार सूचना दी, पालक से लिया गया सहमति पत्र है अथवा नहीं, पालक द्वारा जमा की गई शुल्क की रसीद का क्रमांक व दिनांक, छात्र अथवा पालक का सही मोबाइल नंबर जैसी जानकारियां मांगी हैं।