स्कूल में झाडू लगाने को मजबूर मासूम, टीचर्स कराते हैं सफाई

स्कूल में झाडू लगाने को मजबूर मासूम, टीचर्स कराते हैं सफाई

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-16 07:22 GMT
स्कूल में झाडू लगाने को मजबूर मासूम, टीचर्स कराते हैं सफाई

डिजिटल डेस्क दमोह। स्कूल पहुंचते ही नन्हें- नन्हें हाथों को किताबो की जगह झाडू थामनी पड़ती है कक्षाओं और स्कूल ग्राउण्ड तक साफ करना पड़ता है घर से नहा धोकर पढऩे के लिए पहुंचे बच्चों की सारी ऊर्चा सफाई के दौरान ही खत्म हो जाती है। धूल, मिट्टी  से सन जाने के बाद उसे पढ़ाई नसीब होती है बच्चों के लिए यह एक दिन की बात नही है बल्कि यह प्रतिदिन का काम है। आज किसी का, तो कल किसी की बच्चे का नंबर आता है।
    जिले के ऐसे सैकड़ो स्कूल है जहां यह प्रतिदिन की दिनचर्या है। सफाई कर्मियों से सफाई ना कराकर बच्चों से सफाई कराई जाती है। सफाई कर्मी ना मिलने की बात कहकर शिक्षक मासूमों को सफाई कार्य में झोक रहे है यह केवल एक स्कूल की स्थिति नही है अधिकांश शासकीय स्कूलों में बच्चे ही झाडू लगाते है जिले के शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में चपरासी नहीं है जिसके कारण स्कूल में झाडू साफ-सफाई आदि का काम बच्चों से करवाया जाता है यदि स्कूलों में चपरासी नियुक्त किये जाये तो समस्या का हल हो सकता है।
    शैक्षणिक स्तर व शासकीय स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली सुविधा के बारे में शिक्षा विभाग जो भी कुछ कर ले परन्तु शासकीय स्कूलों को लेकर विभागीय मानसिकता में कोई खास बदलाव नही आया है। आज भी शासकीय स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को लेकर अध्यापकों का नजरिया सर्कीण ही है इसी के चलते कई बार स्कूलों में बच्चों से गैर शैक्षणिक कार्य करवा लिये जाते है हालंाकि विभाग इस बात को लेकर काफी सख्त है इसके बाद भी कुछ स्कूल बाज नही आ रहे है। स्कूल में सुबह-सुबह सफाई का काम स्कूल की सफाई  सेवक नही बल्कि स्कूल के विद्यार्थी करते है और यह काम किसी एक दो से नही बल्कि अलग अलग कक्षाओं के विद्यार्थियों से लिया जा रहा है।
    स्कूल की सफाई का भार शिक्षा ग्रहण करने आये बच्चो पर डाल दिया जाता है इससे शासकीय स्कूलों की पोल खुलती है। शासकीय स्कूलों को माडल स्कूलों का दर्जा दिये जाने की बात करने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारी शायद इस बात से बेखबर है कि अभी भी  जमीनी व्यवस्था ठीक करने में काफी समय लगेगा स्कूल पहुंंचकर बच्चे किताब भी नही खोल पाते कि उन्हें स्कूल की सफाई का काम थमा दिया जाता है।
    जिले के सात विकासखंडो में हटा, पटेरा, बटियागढ़, जबेरा, तेन्दूखेड़ा, पथरिया, दमोह में शायद ही ग्रामीण क्षेत्र का कोई स्कूल हो जहां बच्चों को शाला की सफाई ना करना पड़ती हो।
इनका कहना है-
जिले की सैकड़ो शालाओं में चपरासी नही है और यदि शिक्षक छात्रो से झाडू लगवा रहे है तो पूर्ण रूपेण गलत है। यदि कोई शिक्षक ऐसी हरकत करेगा तो कार्यवाही की जायेगी।
हेमंत खेरवाल डीपीसी, दमोह

 

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