सोहराबुद्दीन और तुलसीराम एनकाउंटर मामला, सवालों के घेरे में CBI

सोहराबुद्दीन और तुलसीराम एनकाउंटर मामला, सवालों के घेरे में CBI

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-01 13:04 GMT
सोहराबुद्दीन और तुलसीराम एनकाउंटर मामला, सवालों के घेरे में CBI

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति एनकाउंटर मामले से बरी दो IPS अधिकारियों को लेकर सीबीआई बॉम्बे हाईकोर्ट के सवालों के घेरे में घिर गई है। जस्टिस रेवती मोहिते ढेरे ने कहा, आखिर सीबीआई ने इस मामले से IPS अधिकारी डीजी वंजारा और दिनेश एमन को बरी किए जाने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती क्यों नहीं दी? निचली अदालत ने पिछले दिनों सबूत के अभाव में इन दोनों IPS अधिकारियों को एनकाउंटर मामले से बरी कर दिया था। 

सुनवाई 12 अक्टूबर तक के लिए स्थगित

हाईकोर्ट ने सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन की ओर से दायर आवेदन पर सुनवाई के दौरान यह सवाल किया। रुबाबुद्दीन ने अपने आवेदन में दोनों अधिकारियों के रिहाई के आदेश को चुनौती दी है। सुनवाई के दौरान रुबाबुद्दीन के वकील गौतम तिवारी ने कहा, जिस तरह से इस प्रकरण में इन दो IPS अधिकारियों को मामले से बरी किया गया है, उसी तर्ज पर अन्य आरोपी भी निचली अदालत में खुद को इस प्रकरण से मुक्त किए जाने के लिए आवेदन कर रहे हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले को सुनवाई के लिए मुंबई में स्थानांतरित किया गया था। लिहाजा यहां की सीबीआई की विशेष अदालत में इस प्रकरण की सुनवाई चल रही है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 12 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है। 

सवालों के घेरे में CBI

जस्टिस ने कहा, आवेदनकर्ता की तरह इस मामले में सीबीआई को भी झटका लगा है। फिर भी उसने निचली अदालत के आदेश को ऊपरी अदालत में क्यों चुनौती नहीं दी? हाईकोर्ट ने सीबीआई को अगली सुनवाई के दौरान स्पष्ट करने को कहा है कि, क्या वह निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने की तैयारी कर रही है? जस्टिस ढेरे ने मौखिक आदेश देते हुए कहा कि, अगली सुनवाई से पहले इस प्रकरण में किसी भी आरोपी के खिलाफ निचली अदालत में आरोप तय न किए जाएं।

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