अवैध रेत का भंडार जब्त ,पुलिस और खनिज विभाग ने की संयुक्त कार्रवाई
अवैध रेत का भंडार जब्त ,पुलिस और खनिज विभाग ने की संयुक्त कार्रवाई
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा/चौरई। चौरई तहसील के ग्रामीण अंचल में वन क्षेत्र स्थित पेंच नदी के घाटों से रोजाना सैकड़ों ट्राली रेत का खनन किया जा रहा है। यह रेत गांवों में कई स्थानों पर स्टाक की गई है। शुक्रवार को पुलिस और खनिज विभाग ने संयुक्त कार्रवाई कर 70 ट्रॉली रेत और 1 ट्रैक्टर को पकड़ा। इस कार्रवाई से क्षेत्र के रेत माफिया स्टाक को ठिकाने लगाने की कवायद कर रहे हैं।
मुखबिर तंत्र को सक्रिय कर दिया
पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर पुलिस बल ने थाना क्षेत्र के गांवों में रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन और अवैध भंडारों की जानकारी जुटाने के लिए मुखबिर तंत्र को सक्रिय कर दिया है। अभियान के तहत शुक्रवार को थाना प्रभारी सुमेर सिंह जगेत और खनिज निरीक्षक जुबेरया कुरैशी की टीम ने ग्राम ओरिया हिर्री में छापा मारा। यहां गौतम पटेल निवासी हरदुआ माल द्वारा अवैध रूप से 60 से 70 ट्रॉली रेत का भण्डारण किया गया था। टीम ने रेत को जब्त कर प्रकरण बनाया है। इस कार्रवाई में उपनिरीक्षक वीरेंद्र आरक्षक राजेंद्र सागर विजय की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
एक ट्रैक्टर भी पकड़ाया
टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए रेत से भरे एक ट्रैक्टर को भी पकड़ा। थाना प्रभारी ने बताया कि लक्खा पिपरिया बाईपास में रेत से भरे ट्रैक्टर को जब्त कर पुलिस थाने में खड़ा करवाया है। उक्त ट्रैक्टर के मालिक पर खनिज अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
दुर्घटना में घायल इलाज के लिए तड़पते रहे
जिला अस्पताल की बदहाल स्थिति में कोई सुधार नहीं आ रहा है। शुक्रवार दोपहर दो बजे चौरई से दो घायलों को एम्बुलेंस से अस्पताल लाया गया था। ओपीडी में एम्बुलेंस से उतारकर इमरजेंसी रुम तक ले जाने वार्ड वॉय नहीं थे। जैसे-तैसे परिवार के लोगों ने घायलों को ड्रेसिंग रूम तक ले गए तो यहां से मरहम पट्टी करने वाले ड्रेसर गायब थे। लगभग आधा घंटे तक घायल दर्द से तड़पते रहे। उनकी सुध लेने वाला अस्पताल में कोई नहीं था। इस दौरान घायल के परिजनों ने जमकर हंगामा भी मचाया।चौरई के रामगढ़ निवासी गुल्ला मालवी और फूल सिंह यादव शुक्रवार को सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। चौरई अस्पताल से रेफर इन मरीजों को 108 एम्बुलेंस से जिला अस्पताल लाया गया था। एम्बुलेंस से मरीज को उतारने वार्ड वॉय ड्यूटी पर नहीं थे। काफी मशक्कत के बाद परिजनों ने स्ट्रेचर की व्यवस्था कर घायलों को ड्रेसिंग रूम तक ले गए। ड्रेसिंग रूम में लगभग आधा घंटे मरीज पड़े रहे लेकिन उनकी मरहम पट्टी करने कोई नहीं आया। जबकि लंच टाइमिंग के दौरान एक ड्रेसर और वार्ड वॉय की इमरजेंसी ड्यूटी होती है।