शिकार के मामलों से जिले के दस बाघों की सुरक्षा दांव पर

भंडारा शिकार के मामलों से जिले के दस बाघों की सुरक्षा दांव पर

Bhaskar Hindi
Update: 2022-01-31 11:38 GMT
शिकार के मामलों से जिले के दस बाघों की सुरक्षा दांव पर

डिजिटल डेस्क, भंडारा। जय के परिवार से आने वाले रुद्रा बाघ के शिकार से जिले के प्रादेशिक वन विभाग के दस वन परिक्षेत्र के तहत आने वाले जंगलों में मौजूदा दस से अधिक बाघों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। एक ओर जिले में वन्यजीवों के शिकार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर वन विभाग इनसे निपटने में नाकाम नजर आ रहा है। विभाग को वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए एक स्क्वेयर किलोमीटर में दो कैमरे ट्रैप लगाने होते हैं। प्रत्येक कैमरे के लिए एए स्तर के आठ सेल की जरूरत होती है। विभाग के पास इसके सेल खरीदी के लिए पैसे नहीं है। अधिकारियों को स्वयं की जेब से सेल खरीदी करने पड़ रहे हैं। दूसरी ओर ग्रामीण स्तर पर विभाग के चुनिंदा कर्मचारी शिकारियों तक जानकारी पहुंचाने का संदेह है। इन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होने से शिकार की घटना रोकने की बजाय बढ़ने लगी है।

गत कुछ दिनों में हुई शिकार की घटनाओं को देखते हुए जिले की सात तहसीलों में तुमसर, लाखनी व लाखांदुर तहसील में सर्वाधिक शिकारियों के गिरोह सक्रिय नजर आ रहे हैं। वन्यजीव व पर्यावरण से जुड़े लोगों के अनुसार शिकारियों की संख्या में वृद्धि का प्रमुख कारण ग्रामीण क्षेत्र में फैली बेरोजगारी है। ग्रामीण क्षेत्र में वन्यजीवों काा शिकार कर उनका मांस बिक्री करने का व्यवसाय अब कई ग्रामों में बढ़ने लगा है। विशिष्ट वर्ग ऐसा है जो वन्यजीवों के मांस के लिए मुंहमांगी कीमत देने के लिए तैयार हो जाता है। यही कारण है कि, रोजगार पाने के लिए तथा पैसे कमाने की लालच में वन्यजीवों को अपने शिकार में फंसाया जा रहा है, लेकिन इन शिकारियों तक विभाग की जानकारी पहुंचाने में वन विभाग के निचले स्तर के कुछ कर्मचारी कार्यरत होने की जानकारी वन्यजीव रक्षकों को है। ऐसे कर्मचारियों पर विभाग कभी कोई कार्रवाई नहीं करता। 

इसलिए वन्यजीवों के शिकार का दौर चलता जा रहा है। वन विभाग के उप वनसंरक्षक एस. बी. भलावी के अनुसार तुमसर तहसील प्रादेशिक वन विभाग के क्षेत्र में चार बाघ, भंडारा के क्षेत्र में तीन, लाखांदुर क्षेत्र में तीन तथा पवनी क्षेत्र में दो बाघ इस तरह लगभग 12 बाघ जिले में हैं। वन विभाग इन बाघों पर कैमेरा ट्रैप कर नजर बनाए रखता है, लेकिन वन विभाग के पास मौजूदा हालात में मोशन सेंसर वाले कैमरों की कमी है। विभाग को लगभग एक स्क्वेयर किमी के दायरे में दो कैमरे लगाने होते हैं। एक कैमरे के लिए आठ एए दर्ज के सेल की आवश्यकता होती है। एक वन परिक्षेत्र में कई कैमरे लगे होते हैं जिन्हें बार-बार सेल की जरूरत होती है, लेकिन विभाग के पास इन कैमरों के सेल हेतु निधि तक नहीं है। कई वन परिक्षेत्र के अधिकारी स्वयं अपनी जेब से सेल की खरीदी करते हैं। वर्षों बाद इसके पैसे उन्हें वापस मिलते हैं। ऐसे में बाघों तथा अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ अपने आप समझौता हो रहा है।

दूसरी ओर शिकारियों के गिरोह तेजी से बढ़ने लगे हैं। वन विभाग के लिए ग्रामीण स्तर पर ग्राम परिस्थिति विकास समिति कार्य करती है। इसके माध्यम से विभाग शिकारियों की जानकारी जुटाता है, लेकिन विभाग के कुछ कर्मचारियों द्वारा सेंध लगाते हुए जानकारी शिकारियों तक पहुंचाई जाती है। जिससे शिकार के मामलों को रोकना मुश्किल होता जा रहा है। रुद्रा बाघ के शिकारियों को पकड़ने में वन्यजीवों की रक्षा, बचाव हेतु काम करने वाली पर्यावरण संरक्षण बहुउद्देशीय संस्था के अजहर हुसैन, निहाल गणवीर, सुभाष कोरे व यश अंबादे का सहयोग मिला है। ऐसी कई संगठनाओं को वन विभाग को प्रेरित करने की जरूरत है।

शिकारियों के साथ मांस खरीदार पर भी होगी कार्रवाई

प्रधान मुख्य वनसंरक्षक पी. कल्याण कुमार ने शनिवार को भंडारा में आकर पलाडी में घटनास्थल पर भेंट देकर अधिकारियों को कई सूचनाएं दी। उन्होनें शिकारियों के साथ-साथ वन्यजीवों के मांस विक्रेता तथा मांस के खरीदार को भी आरोपी बनाने की सूचना भंडारा के अधिकारियों को दी। अब वन्यजीवों का मांस पकाने पर कारागार जाना पड़ेगा।

 

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