भीमा-कोरेगांव हिंसा : दलितों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने एक साथ आए सभी RPI घटक दल

भीमा-कोरेगांव हिंसा : दलितों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने एक साथ आए सभी RPI घटक दल

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-15 18:14 GMT
भीमा-कोरेगांव हिंसा : दलितों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने एक साथ आए सभी RPI घटक दल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भीमा-कोरेगांव हिंसा के बाद बंद का आयोजन किया गया था। इस दौरान दलितों के खिलाफ मामले दर्ज किये गए थे। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र गवई का कहना है कि, मामले वापस लेने के लिए आरपीआई के सभी घटक दलों को साथ आना चाहिए। इसके अलावा गवई ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को खत लिखकर मांग की है कि मामले के आरोपी मिलिंद एकबोटे को राहत न मिले इसलिए सरकार की ओर से अच्छे वकील की नियुक्ति की जानी चाहिए।

निर्दोष लोगों के खिलाफ फर्जी मामले
मुंबई मराठी पत्रकार संघ में गुरूवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान गवई ने कहा कि कई निर्दोष लोगों के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज किए गए हैं। सोशल मीडिया और वाट्सएप पर तो इन लोगों के समर्थन में लोग नजर आते हैं, लेकिन वास्तव में कोई उनके साथ नहीं खड़ा हो रहा। उन्होंने कहा कि सरकार पर दबाव बनाने के लिए जरूरी है कि प्रकाश आंबेडकर और रामदास आठवले एक साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात करें। गवई ने कहा कि वे जल्द ही इस सिलसिले में दोनों नेताओं से मुलाकात करेंगे।

मामले में नियुक्त करे अच्छा सरकारी वकील
डॉ. राजेंद्र गवई ने आगे कहा कि दोनों नेताओं के बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन जिन लोगों के खिलाफ आंदोलन के दौरान मुकदमें दर्ज किए गए हैं कम से कम उन्हें बचाने के लिए दोनों को एक साथ आना चाहिए। उन्होंने कहा कि एकबोटे को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है, लेकिन सरकार को चाहिए कि मामले में अच्छा सरकारी वकील नियुक्त करें जिससे उन्हें हमेशा के लिए जमानत न मिले। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को खत लिखा है।

कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित हुआ था कार्यक्रम
बता दें कि एक जनवरी को भीमा कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर दलित संगठन ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस आयोजन को लेकर दो पक्ष आपस में भिड़ गए थे, जिसके बाद पूरे शहर में हिंसा फैल गई। हिंसा का असर महाराष्ट्र के अन्य शहरों के साथ देश के कई अन्य प्रदेशों में भी दिखा। इसी सिलसिले में महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया गया। इस बंद के दौरान हिंसा में भी एक छात्र की मौत हो गई थी। बाद में छात्र के परिजनों ने आरोप लगाया था कि अश्ती गांव के पास सड़क से अवरोध हटाने के क्रम में पुलिस की ओर से किए गए लाठीचार्ज में वह गंभीर रूप से जख्मी हो गया , जिससे उसकी मौत हो गई।

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