एनटीपीसी किसान आंदोलन : खून से सींची कलेक्ट्रेट की सीढ़ियां
एनटीपीसी किसान आंदोलन : खून से सींची कलेक्ट्रेट की सीढ़ियां
डिजिटल डेस्क नरसिंहपुर । एनटीपीसी प्लांट के समक्ष चल रहे किसान आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किए गए 39 आंदोलनकारियों की रिहाई समेत स्थायी नौकरी की मांग लेकर पदयात्रा नरसिंहपुर पहुंची। यहां पर प्रशासन के समक्ष जोरदार नारेबाजी करते हुए आंदोलनकारियों ने अपनी बात रखी। इस दौरान आंदोलन में शामिल नेत्री श्रीमती सुनीता पटैल, मिनेन्द्र डागा व अन्य किसानों ने अपना खून निकालकर कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार की सीढिय़ों पर सींचकर विरोध जताया। इस दौरान आंदोलनकारियों ने एक स्वर में निर्णय लिया कि जब तक आंदोलनकारियों की बिना शर्त रिहााई नहीं की जाएगी तब तक कलेक्ट्रेट परिसर में ही धरना दिया जाएगा।
इसके पूर्व खैरीनाका से पदयात्रा करते हुए किसान जिला मुख्यालय में दाखिल हुए। मुख्य मार्ग से रैली निकाली गई। रैली को सुभाष पार्क चौराहा पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने भी संबोधित किया। वहीं आम आदमी पार्टी, किसान संघर्ष समिति के सदस्य भी समर्थन देने पहुंचे।
सड़कों पर दिखा किसानों का आक्रोश
मांग पूरी होने तक कलेक्ट्रेट छोडऩे से इंकार करते हुए यहां बड़ी संख्या में महिला-पुरुष और युवाओं ने पहले तो रैली निकाली, बाद में प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर गिरफ्तार किसानों की रिहाई और नौकरी की मांग दोहराई।
गौरतलब है कि गांगई में निर्माणाधीन एनटीपीसी प्लांट के समक्ष पांच सूत्रीय मांगों को लेकर लगभग एक माह से धरना दे रहे किसानों की गिरफ्तारी उपरांत आंदोलनकारियों का आक्रोश चरम पर है। यह पदयात्रा करते हुए कल जिला मुख्यालय पहुंचे थे।
अब नहीं उठेंगे
धरना दे रहे कृषक और उनके परिजन यहां से हटने को तैयार नहीं हैं। आर-पार के मूड़े में पहुंचे आंदोलनकारियों ने मांगें पूरी होने तक कलेक्ट्रेट परिसर छोडऩे से भी इंकार कर दिया है।
रशासन को सौंपा मांग पत्र
कलेक्ट्रेट में आंदोलनकारियों को संबंोधित करते हुए महिला नेत्री सुनीला पटेल, सुरेन्द्र पटेल, कांग्रेस नेता लाखन सिंह, मिनेन्द्र डागा आदि ने किसानों की मांग अविलंब पूरी करने की बात कही। इस दौरा कलेक्टर को संबोधित एक मांग पत्र अपर कलेक्टर को सौंपा गया जिसमें किसानों की रिहाई, प्रभावित परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी, मारपीट की घटना की जांच आदि पर कार्रवाई की अपेक्षा की गई है। किसानों के इस आंदोलन में आम आदमी पार्टी, किसान संघर्ष समिति के पदाधिकारी भी शामिल थे।