कृष्ण लीलाओं का साक्षी है दमोह का अंबिका मठ, यहीं से हुआ था रूक्मणी हरण
कृष्ण लीलाओं का साक्षी है दमोह का अंबिका मठ, यहीं से हुआ था रूक्मणी हरण
डिजिटल डेस्क दमोह पटेरा। दमोह नगर से करीव 36 किमी दूरी पर स्थित ग्राम कुंडलपुर में मौजूद रुकमणी व अंबिका मठ अपने साथ भगवान कृष्ण की लीलाओं की एक कहानी को जोड़े हुए है। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की पत्नि रूक्मणी जी के माता पिता का भवन था जिसे लोग रुकमणी मठ के नाम से जानते है। इस मठ से करीव आधा किमी की दूरी पर माता अंबिका का मठ है जहां माता रुकमणी पूजन के लिए जाती थी। एक दिन पूजन के लिए गई माता रूक्मणी का भगवान श्री कृष्ण ने हरण कर लिया और उनसे विवाह कर उनकी कामना को पूर्ण किया। माता रुकमणी द्वारा अंबिका मठ में पूजन अर्चन की सामग्री के प्रमाण व इतिहास भीअंबिका मठ में मिलते हैं। इन घटनाओं का उल्लेख सुखसागर नामक ग्रंथ में है जहां पर रुकमणी और अंबिका मठ का भी उल्लेख है। इसके अलावा क्षेत्र के ही ग्राम बर्रट में रूक्मणी के भाई शिशुपाल का भी उल्लेख है जिनसे भगवान कृष्ण का युद्ध होना माना जाता है। पुरातत्वविदों को रूक्मणी मठ के दस से ग्यारहवी शताब्दी पुराने होने के प्रमाण मिले है और कुंडलपुर ग्राम में स्थित पहाड़ का आकार अर्धचंद्राकार यानि कानों के कुंडल के जैसे होने के चलते इस क्षेत्र का नाम कुंडलपुर पड़ गया।
प्रतिमा चोरी होने के बाद हो गया उपेक्षित
अपनी प्राचीन धरोहर व रुकमणी मठ में स्थित प्रतिमा के बेशकीमती होने के चलते यह प्रतिमा कुछ वर्षो पूर्व चोरी हो गई। चोरी हुई प्रतिमा को तो पुलिस ने राजस्थान जिले से बरामद कर लिया लेकिन स्थापित होने के लिए आई यह अमूल्य प्रतिमा वापस पटेरा थाना तक तो पहुचीं लेकिन जानकारों द्वारा प्रतिमा को कीमती व धरोहर बताए जाने के चलते इसे स्थापित न करके प्रतिमा को विदिशा जिले के ग्यारसपुर के संग्राहलय में रखवा दिया गया और यह मठ प्रतिमा विहीन ही रह गया। वहीं प्रतिमा विहीन मठ भी समय के साथ उपेक्षा का शिकार हो गया।
एक चौकीदार के सहारे सुरक्षा
अपनी कहानियों में पुरातन संस्कृति की समेटे रुकमणी व अंबिका मठ आज भी उपेक्षित नजर आते है। रुकमणी मठ से प्रतिमा चोरी होने के बाद आज यहां कुछ छोटी छोटी प्रतिमा ही मौजूद है जिनकी कोई सुरक्षा नहीं है वहीं रुकमणी मठ व अंबिका मठ में सुरक्षा के नाम पर एक-एक चौकीदार होता है जिसके भरोसे इस धरोहर की रखवाली होती है। इन मठों में नवरात्र के चलते स्थानीय श्रृद्धालुओं की उपस्थिति तो होती है लेकिन इसके पुरातन व धार्मिक महत्व को लोगों से दूर रखने पर पर्यटकों की भीड़ यहां नहीं जुट पाती। वहीं माता रुकमणी की प्रतिमा को यहां से ले जाने पर लोगों मेें रोष है उनकी मांग है कि माता रुकमणी की प्रतिमा को यहां फिरसे स्थापित किया जाए और छतिग्रस्त हो रहे मठ को दुवारा जीर्णोद्धार कर इसकी सुरक्षा तय की जाए।
इनका कहना है
जिले के सभी पुरातत्व धरोहरों की सुरक्षा के लिए प्रशासन हमेशा ही सजग रहा है। इस दिशा में भी जो भी उचित कार्यवाही होगी वह की जाएगी।
श्रीनिवास शर्मा,कलेक्टर दमोह