मॉकड्रिल में खुली व्यवस्थाओं की पोल, बिजली गुल हुई तो जनरेटर को शुरु करने डीजल नहीं था
कोरोना अलर्ट मॉकड्रिल में खुली व्यवस्थाओं की पोल, बिजली गुल हुई तो जनरेटर को शुरु करने डीजल नहीं था
डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। कोरोना को लेकर जिला अस्पताल में मंगलवार को आयोजित मॉक ड्रिल में व्यवस्थाओं की पोल खुल गई है। ड्रिल में शामिल अधिकारी बिना मास्क व बिना पीपीई किट के निरीक्षण करने पहुंचे थे। जिन वार्डों को कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए आरक्षित किया गया है, वहां गंदगी पसरी हुई थी।
मेडिकल कॉलेज के डीन के निर्देश पर वार्ड की सफाई कराई गई। इसी के साथ टीम ने आक्सीजन प्लांट देखा, आक्सीजन पाइंट युक्त 625 बेड्स में आक्सीजन के फ्लो की जांच की, अक्सीजन की गुणवत्ता देखी। यह व्यवस्थाएं तो चलित अवस्था में दिखी। लेकिन अचानक बिजली गुल होने पर जनरेटर को शुरु करने डीजल उपलब्ध नहीं था। इतना ही नहीं अब तक कोरोना संक्रमण फैलने पर इसके उपचार, स्क्रीनिंग, सेम्पलिंग के लिए कोई नोडल अधिकारी नियुक्त नहीं किया गया है।
कोविड से पहली मौत के समय बरती लापरवाही अब भी दिखी
कोरोना संक्रमण से जिले में अप्रैल 2020 में पहली मौत इंदौर से आए युवक की हुई थी। उस समय भी जिले में कोरोना संक्रमण के लिए कोई नोडल अधिकारी नियुक्त नहीं किया गया था। जिसके कारण उपचार की व्यवस्थाएं लडख़ड़ा गई थीं। यही हाल आज भी है, कोरोना को लेकर अलर्ट तो जारी है, लेकिन उपचार के लिए जिम्मेदारी तय नहीं हुई हैं।
इनका कहना है
जिला अस्पताल और मेडिकल की टीम ने मॉक ड्रिल के जरिए व्यवस्थाओं का जायजा लिया है। मौजूदा संसाधन चलित अवस्था में मिले हैं। आक्सीजन प्लांट और आरक्षित वार्ड की सफाई कराई गई है। आगामी निर्देश मिलने पर फीवर क्लीनिक, सेम्पलिंग व स्क्रीनिंग शुरु की जाएगी।
-डॉ एमके सोनिया, सिविल सर्जन