2 करोड़ खर्च होने के बाद भी शिक्षा के हाल में नहीं आया सुधार
2 करोड़ खर्च होने के बाद भी शिक्षा के हाल में नहीं आया सुधार
डिजिटल डेस्क दमोह। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीब और जरूरत मंद बच्चों को पढ़ाने के नाम पर जिले में एक वर्ष में 2 करोड़ रूपये से अधिक खर्च कर दिये यह अलग बात है कि 6 साल का आकड़ा देखा जाये तो भी हालत जस की तस है। वर्ष 2011-12 से प्रारंभ आरटीई के तहत जिले में लगभग 25 से 30 हजार बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने का दावा किया जा रहा है 5 साल में जितना पैसा खर्च कर दिया उतने में तो गरीब बच्चों के लिये सर्व सुविधायुक्त नये स्कूल खोले जा सकते थे योजना में गरीबो के बच्चे पढ़े न पढ़े निजी स्कूलो की चॉदी जरूर है गरीबो के बच्चों को पढ़ाने के लिये सरकार प्रतिवर्ष 2 करोड रूपये से अधिक की फीस की प्रतिपूर्ति कर रही है। इस फीस की प्रतिपूर्ति में एक अच्छा खासा स्कूल स्थापित हो सकता है।
क्या है प्रावधान
गौरतलब है कि आरटीई के तहत निजी स्कूलों में उनकी कुल तय छात्र संख्या के 25 फीसदी गरीब और जरूरत मंद बच्चों को प्रवेश दिये जाने का प्रावधान है। इसमें आरटीई के तहत प्रवेशित किये गये बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति शासन से संबंधित विद्यालय को ही दी जाती है शासन के नियमों के मुुताबिक इसमें स्थानीय गरीब बच्चों के बाद पड़ोस की सीमा के गरीब बच्चों को प्रवेश दिये जाने का प्रावधान है। शैक्षणिक सत्र 2016-17 से आरटीई की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है। इसमें स्कूलों की पड़ोस की सीमा के चिन्हाकंन से लेकर लाटरी प्रक्रिया प्रवेश और फीस प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया अब ऑनलाइन कर दी गई है।
आय का जरिया बनी योजनायें
गरीब और वंचित समूह के बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने का उद्देश्य इस वर्ग के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराना है लेकिन शासन की यह योजना निजी स्कूलो के लिये आय का जरिया बनकर रह गई है आरटीई के तहत बच्चें तो प्रवेशित किये जाते है किन्तु उन्हें वहा शैक्षणिक लाभ कितना मिला इसे देखने वाला कोई नही बताया तो यह भी जा रहा है कि कई विद्यालयो में आरटीई के बच्चों को अन्य बच्चों से अलग बैठाया जाता है इसमें निजी विद्यालय बच्चों के कमजोर होने का तर्क देते है जबकि उनका शैक्षणिक स्तर उठाने के लिये यह व्यवस्था की गई है इसके अलावा कुछ विद्यालय तो आरटीई के बच्चों से टयूसन फीस छोड़कर अन्य सुविधाओं के नाम पर बसूली भी करते है।
अब तक कितने प्रवेश
जिले में यह योजना वर्ष 2011-12 में प्रारंभ की गई थी प्रारंभिक योजना से इस योजना में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्रवेशित बच्चों के साथ उनकी फीस प्रतिपूर्ति की राशि में भी बढ़ोत्तरी हुई है विभागीय सूत्रो के मुताबिक इसमें साल दर साल वृद्धि ही होनी है। जिले के 7 विकासखंडो की शालाओं में 7 हजार 8 सौ 63 गरीब बच्चों को वर्ष 2016-17 में प्रवेश दिया गया है और इस हेतु इन बच्चों की प्रतिपूर्ति की राशि 2 करोड़ 4 लाख 86 हजार 5 सौ 66 रूपये किये गये। जिले के पटेरा विकासखंड में 26 सौ 73 बच्चों के लिये 64 लाख 68 हजार 4 सौ 57 रूपये, पथरिया के 13 सौ 15 छात्रो के लिये 38 लाख 76 हजार 4 सौ 45 रूपये, दमोह के 15 सौ 73 बच्चों के लिये 41 लाख 57 हजार 3 सौ 51 रूपये, हटा के 12 सौ 17 छात्रो के लिये 30 लाख 83 हजार 6 सौ 86 रूपये, तेन्दूखेड़ा के 7 सौ 29 बच्चों के लिये 19 लाख 70 हजार 7 सौ 81 रूपये, जबेरा के 189 बच्चों के लिये 6 लाख 41 हजार 4 सौ 88 रूपये तथा बटियागढ़ के 167 बच्चों के लिये 2 लाख 88 हजार 3 सौ 58 रूपये की राशि जारी की गई। इस प्रकार जिले के कुल 7 हजार 8 सौ 63 बच्चों के लिये 2 करोड़ 4 लाख 86 हजार 5 सौ 66 रूपये की राशि जारी की गई।
इनका कहना है-
आरटीई के तहत जिले में अब तक लगभग 30 हजार बच्चें प्रवेशित किये गये है। इस वर्ष कक्षा 8 वी तक में प्रवेश दिये गये है। छात्र संख्या बढने के साथ फीस प्रतिपूर्ति का आकड़ा भी बढ़ेगा।
हेमंत खेरवाल डीपीसी दमोह