एमआरआई के लिए एक्सपर्ट नहीं... तीन माह से एक भी मरीज की जांच नहीं हुई

छिंदवाड़ा एमआरआई के लिए एक्सपर्ट नहीं... तीन माह से एक भी मरीज की जांच नहीं हुई

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-12 10:11 GMT

डिजिटल डेस्क  छिंदवाड़ा। मेडिकल कॉलेज में एक्सपर्ट डॉक्टर न होने से पिछले तीन माह से एमआरआई मशीन बंद पड़ी है। दरअसल तीन माह पूर्व विशेषज्ञ चिकित्सक नौकरी छोडक़र चुके है। तब से मरीजों की एमआरआई जांच नहीं हो रही है। आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था बनाते हुए महिला रेडियोलॉजिस्ट को एमआरआई मशीन की रिपोर्टिंग की जवाबदारी सौंपी थी, लेकिन अनुभव न होने की वजह से वह भी रिपोर्टिंग नहीं कर रही है।
बीती १२ दिसम्बर २०२० को एमआरआई मशीन जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए शुरू की गई थी। जिसमें सात सौ मरीजों की एमआरआई जांच हो पाई है। विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ.देवेन्द्र वर्मा के जाने के बाद जनवरी माह से एक भी मरीज की जांच या रिपोर्टिंग नहीं हो पाई है। वर्तमान प्रभारी डॉ.शिपिंग जैन एमआरआई की रिपोर्टिंग नहीं कर रही है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा जांच फिल्म की भी व्यवस्था नहीं की गई है। यदि मरीज को फिल्म ही मिल जाए तो संबंधित डॉक्टर उस आधार पर इलाज कर सकता है। इस संबंध में चर्चा के लिए मेडिकल कॉलेज डीन डॉ.जीबी रामटेके से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने मोबाइल रिसीव नहीं किया।
जबलपुर-नागपुर मेडिकल कॉलेज भेज रहे मरीज-
मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग विभाग प्रमुख डॉ.शैलेन्द्र सैय्याम ने बताया कि एमआरआई जांच न होने पर भर्ती मरीजों को जबलपुर या नागपुर मेडिकल कॉलेज भेजकर जांच कराई जा रही है।  
निजी संंस्थान में सात से दस हजार रुपए शुल्क-
एमआरआई की सुविधा न मिलने से मरीजों को नागपुर के निजी संस्थानों में जाना पड़ रहा है। नागपुर में सात से दस हजार रुपए शुल्क चुकाना पड़ रहा है। कमर की हड्डी की समस्या से जूझ रहे मरीज बंटी गोहर ने बताया कि जिला अस्पताल में जांच न होने पर उन्हें नागपुर जाकर एमआरआई करानी पड़ी। जहां जांच के सात हजार रुपए शुल्क देने पड़े।  
छह करोड़ की मशीन ठप न हो जाए-
एमआरआई मशीन की कीमत छह करोड़ ७५ लाख रुपए है। लम्बे समय से मशीन का इस्तेमाल न होने से एक्सपर्ट मशीन के पाटर््स खराब होने की संभावना जताई जा रही है। यदि इस मशीन का कोई पाटर््स खराब होता है उसे बदलवाने मेडिकल कॉलेज का एड़ीचोटी का जोर लगाना पड़ सकता है।
क्या कहते हैं अधिकारी-
विशेष चिकित्सक की कमी के चलते एमआरआई नहीं हो पा रही है। मेडिकल कॉलेज डीन से संपर्क कर चर्चा की जाएगी कि आउटसोर्स व्यवस्था बनाकर मशीन का संचालन किया जाए, ताकि मरीजों की जांच आसानी से हो सके।
 

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