बुंदेलखंड पैकेज में हुए भ्रष्टाचार को लेकर नीति आयोग सक्रिय, मांगा खर्च का ब्यौरा
बुंदेलखंड पैकेज में हुए भ्रष्टाचार को लेकर नीति आयोग सक्रिय, मांगा खर्च का ब्यौरा
डिजिटल डेस्क, दमोह। बुंदेलखंड को चमन करने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार मनमोहन सिंह द्वारा राहुल गांधी के प्रयासों से 3860 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई थी और इस राशि से विशेष पैकेज के तहत बुंदेलखंड के जिलों में विभिन्न प्रकार के कार्यों के माध्यम से विकास किया जाना था। लेकिन वर्ष 2008 में मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के 13 जिलों को आवंटित 7600 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृति के बाद मध्य प्रदेश के 6 जिलों के लिए 3860 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। जिसमें से वर्ष 2015 तक 21 सौ करोड़ रुपए स्वीकृति के उपरांत उस राशि से कार्य कराए गए लेकिन आज तक इस मामले में किसी भी प्रकार की जानकारी विभाग उपलब्ध नहीं करा पाया कि यह राशि कहां की गई। यही कारण है कि इसकी शिकायतों के उपरांत नीति आयोग द्वारा राज्य योजना आयोग से इस राशि के व्यय की बिंदुवार जानकारी एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र देने के निर्देश दिए हैं।
उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया
इस संबंध में लगातार ही बुंदेलखंड पैकेज के तहत गड़बड़ी की शिकायतें कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता पवन घुवारा ने लगातार ही इस मामले को उठाया और राज्य योजना आयोग से भी इस राशि के खर्च की जानकारी की स्थिति स्पष्ट करने का निवेदन किया। इसके बाद भी ना तो विभाग और ना ही राज्य योजना आयोग ने इसे गंभीरता से लिया। बुंदेलखंड पैकेज की राशि से पांच विभागों में विभिन्न प्रकार के कार्य कराए गए हैं लेकिन इन कराए गए कार्यों का आज दिनांक तक उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया ।इस बात की शिकायत होने के बाद भी राज्य योजना आयोग पर किसी भी प्रकार का असर नहीं होने के बाद नीति आयोग द्वारा राज्य योजना आयोग के सचिव को तत्काल ही इस मामले की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं।
2000 करोड़ रुपए की राशि कहां खर्च की
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के दमोह सागर छतरपुर टीकमगढ़ पन्ना और दतिया के लिए 3860 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया था। इस राशि से सिंचाई विभाग कृषि विभाग पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग उद्यानिकी विभाग वन विभाग पीएचई पशुपालन मत्स्य पालन कौशल विकास आदि विभागों के माध्यम से अलग-अलग कार्य कराए जाना थे लेकिन इनके द्वारा कराए गए कार्यों का उपयोगिता प्रमाण पत्र आज दिनांक तक जारी नहीं किया गया ।इससे यह बात स्पष्ट रूप से प्रतीत होती है कि इन कार्यों में भ्रष्टाचार हुआ है और यह कार्य आज तक नहीं कराए गए। इसमें से मात्र नल जल योजना के तहत 100 करोड़ रुपए की राशि से कराए गए कार्यों का उपयोगिता प्रमाण पत्र ही राज्य योजना आयोग तक विभाग ने भेजा है। जबकि 21 सौ करोड़ रुपए की राशि में से मात्र सौ करोड़ की राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजना शेष 2000 करोड़ रुपए की राशि कहां खर्च की गई आज तक विभाग जानकारी नहीं दे पाया ।