जिला अस्पताल में दवाओं की जरुरत, उधार मांग रहा प्रबंधन, बुखार, उल्टी-दस्त दवाओं का टोटा
छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में दवाओं की जरुरत, उधार मांग रहा प्रबंधन, बुखार, उल्टी-दस्त दवाओं का टोटा
डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा।मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल में जीवनरक्षक दवाओं का टोटा बना हुआ है। हालात यह है कि मौसमी बीमारी, बुखार, उल्टी-दस्त व ऑपरेशन के दौरान लगने वाली जरुरी दवाएं और सामग्री भी मरीजों को नसीब नहीं हो रही है। दरअसल जिला अस्पताल प्रबंधन को शासन से अप्रैल माह में मिले ऑनलाइन बजट से जरुरी दवाएं बुलाई जा चुकी है। इन दवाओं के खत्म होने पर अब नया स्टॉक बुलाने प्रबंधन के पास बजट नहीं है।
वहीं दूसरी ओर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के पास पर्याप्त बजट है, लेकिन डीन ने अभी तक दवाओं का ऑर्डर नहीं दिया है। समय पर मेडिकल कॉलेज द्वारा दवाएं मंगवा ली जाती तो मरीजों को जीवनरक्षक दवाओं के लिए परेशान नहीं होना पड़ता। अब जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा सीएमएचओ औषधि स्टोर और अन्य जिलों से उधार दवाएं मांगी जा रही है। तब कहीं कुछेक दवाएं वार्डों तक पहुंच रही है। ऐसे हालात में ओपीडी में आने वाले मरीजों को औषधि केन्द्र से दवाएं नहीं मिल पा रही है।
२९२ दवाएं अनिवार्य, लेकिन पैरासिटामॉल सीरप तक नहीं-
जिला अस्पताल में २९२ प्रकार की जीवनरक्षक दवाएं होनी चाहिए। अभी जिला अस्पताल के हालात यह है कि वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए पैरासिटामॉल सीरप, उल्टी के ऑन्डेम सीरप जैसी मूलभूत दवाएं तक नहीं है। टिटनेस टॉक्साइड, दर्द निवारक डाइक्लो जेल, कैथेटर, सीरिंज और रेबिज इमोग्लोबिन इंजेक्शन जैसे कई इंजेक्शन व दवाओं का टोटा है। खासकर ओपीडी में आने वाले मरीजों को दवाएं नहीं मिल रही है। ऑपरेशन के पूर्व जाली, धागे समेत अन्य दवाएं मरीज के परिजनों से मंगवाई जा रही है।
सिम्स में लाखों का बजट, फिर भी खरीदी नहीं-
बताया जा रहा है कि दवा व अन्य जरुरी सामग्री खरीदी के लिए शासन द्वारा अप्रैल माह में जिला अस्पताल को लगभग तीस लाख रुपए और मेडिकल कॉलेज को लगभग चालीस लाख रुपए का बजट मिला था। जिला अस्पताल को मिला बजट खत्म हो चुका है। वहीं मई माह तक मेडिकल कॉलेज डीन द्वारा दवाओं का ऑर्डर तक नहीं किया गया।
क्या कहते हैं अधिकारी-
स्वास्थ्य शिविरों में हमारे द्वारा कई दवाएं उपलब्ध कराई गई थी। जिसकी वजह से दवाओं की कमी हुई है। सीएमएचओ ऑफिस या अन्य जिलों से जरुरी दवाएं बुलाई जा रही है। दवाओं की उपलब्धता के लिए शासन को मांग पत्र भेजा गया है। आरकेएस के बजट से भी जरुरी दवाएं खरीद रहे है।