MP: भाजपा को झटका, पवई विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता रद्द

MP: भाजपा को झटका, पवई विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता रद्द

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-02 18:54 GMT
MP: भाजपा को झटका, पवई विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता रद्द

डिजिटल डेस्क, भोपाल। विधानसभा सचिवालय द्वारा पवई के विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता समाप्त कर दी गई है। इससे भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट द्वारा लोधी को 2 साल की कैद की सजा सुनाने के बाद प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने लोधी की सदस्यता रद्द करने का निर्णय लिया है। इसी के साथ पवई विधानसभा सीट को भी रिक्त घोषित कर इसकी जानकारी चुनाव आयोग को भी भेज दी गई है। अब प्रदेश में पवई से एक और उपचुनाव होगा। इससे पहले हाल ही में झाबुआ विधानसभा सीट पर भाजपा हार का सामना कर चुकी है।

 

 

भाजपा का विरोध

विधानसभा अध्यक्ष द्वारा लोधी की सदस्यता रद्द किए जाने के फैसले का भाजपा नेताओं ने विरोध किया है। इस पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि "विधानसभा स्पीकर का यह फैसला राजनीतिक द्वेष से लिया गया है।" उन्होंने कहा कि "प्रह्लाद लोधी के पास हाईकोर्ट जाने का मौका है, हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।" वहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने भी इस फैसले को अलोकतांत्रिक बताया है। उन्होंने कहा कि "पवई विधायक लोधी को न्याय के लिए हाईकोर्ट जाने का अधिकार है और हम जाएंगे भी।"

लोधी को 2 साल की कैद

बता दें कि भोपाल की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी के साथ अन्य 12 लोगों को दो साल की कैद की सजा सुनाई थी। इसके अलावा कोर्ट ने इन सभी अपराधियों पर साढ़े 3 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। गौरतलब है कि साल 2014 में पन्ना जिले की रैपुरा तहसील में अवैध रेत खनन का तहसीलदार द्वारा विरोध किया जा रहा था। इस दौरान लोधी और उसके समर्थकों ने तहसीलदार के साथ मारपीट और अभद्र व्यवहार किया था। इसी मामले में इन सभी अपराधियों को कोर्ट द्वारा कैद की सजा दी गई है। हालांकि सजा मिलने के बाद लोधी को जमानत भी मिल गई है।

आखिर क्यों रद्द की गई सदस्यता ?

पन्ना जिले के पवई विधानसभा के MLA प्रहलाद लोधी की सदस्यता सुप्रीम कोर्ट के नियम के आधार पर की गई है। विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का एक नियम है जिसके अनुसार जैसे ही किसी जनप्रतिनिधि को सजा मिलती है, तत्काल उसी क्षण उनकी सदस्यता खत्म कर दी जाती है।

दरअसल साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए एक फैसले के मुताबिक यदि किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाएगी। इसके अलावा वह अगले 6 साल तक किसी भी चुनाव में उम्मीदवार के रूप में भागीदारी नहीं ले सकता। यह फैसला कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार देते किया था। कोर्ट ने कहा था कि दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्यता प्रभावी होती है। क्योंकि इसी धारा के तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले जनप्रतिनिधियों को अयोग्यता से संरक्षण हासिल है।

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