आधे से ज्यादा प्रसूताएं हो रहीं एनीमिया और इन्फेक्शन का शिकार
आधे से ज्यादा प्रसूताएं हो रहीं एनीमिया और इन्फेक्शन का शिकार
किट के लिए मिलने वाले फंड को शासन ने इस सत्र से किया बंद, इस वजह से बीमार पड़ रहीं ग्रामीण क्षेत्रों की प्रसूताएं
डिजिटल डेस्क छतरपुर । एक ओर जहां स्वास्थ्य मंत्रालय करोड़ों रुपए खर्च कर मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाने विभिन्न योजनाएं संचालित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर फंड के अभाव में प्रसव के पश्चात प्रसूताओं को मिलने वाली अति आवश्यक ममता किट का वितरण जिले में बजट के अभाव में बंद हो गया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस सत्र से ममता किट के लिए मिलने वाला बजट बंद होने से किट का वितरण बंद हो गया है। वहीं ममता किट न मिलने से जिले में प्रसव पश्चात प्रत्येक 10 में से 5 प्रसूताओं को इन्फेक्शन व एनीमिया की शिकायत हो रही है।
क्या है ममता किट
एक साल पहले तक जिले में स्वास्थ्य विभाग प्रसव के बाद हर प्रसूता को ममता किट का वितरण करता था। इसमें डिस्चार्ज टिकिट के साथ, जन्म प्रमाण-पत्र, एमसीपी कार्ड टीकाकरण प्रविष्टि के साथ, 100 आईएफए की गोलियां, 100 कैल्शियम की गोलियां, 2 सैनेटरी नेपकीन के पैकेट, परिवार कल्याण सामग्री और बेबी सूट शामिल होता था। ममता किट में जरूरतमंद सामग्री होने से प्रसूता को इन्फेक्शन और एनीमिया से बचाने में काफी हद तक मदद मिलती थी, लेकिन अब फंड के अभाव में ममता किट का वितरण जिले में नहीं हो पा रहा है।
12 फीसदी प्रसूताएं तोड़ देती हैं दम, 63 नवजात की मौत
अगर आंकड़ों की माने तो हर एक हजार प्रसव पर 12 प्रसूताएं दम तोड़ देती हैं, वहीं हर एक हजार पर 63 नवजातों की मौत जिले में हर माह प्रसव के बाद होती है। जिले में औसतन हर माह 3100 से 3200 प्रसव होते हैं। इनमें 900 से ज्यादा प्रसव जिला अस्पताल और 1500 से ज्यादा प्रसव अन्य सरकारी अस्पतालों में होते हैं। इन प्रसूताओं को गत वर्ष तक ममता किट डिस्चार्ज के समय दी जाती थी। इससे प्रसूताओं को इंफेक्शन और एनीमिया से बचाने में मदद मिलती थी, लेकिन अब किट न मिलने से प्रसव के बाद 10 में से 5 महिलाएं इन्फेक्शन के साथ एनीमिया का शिकार भी हो रही हैं।
जानकारी के अभाव में महिलाएं सुरक्षा का ध्यान नहीं रखतीं, इसलिए होती हैं बीमार
प्रसव के बाद जानकारी के अभाव में ग्रामीण इलाकों की महिलाएं प्रसव के बाद सुरक्षा नहीं बरतती हंै। सेनेटरी नेपकीन की जगह कपड़ा इस्तेमाल करने से इन्फेक्शन से ग्रसित हो जाती है और दवाएं न मिल पाने से एनीमिया का शिकार हो जाती हंै। प्रसव के बाद अस्पताल में भी उचित परामर्श नहीं दिया जाता है, इससे प्रसूताओं का स्वास्थ्य स्तर गिर जाता है। गत माह छतरपुर की मालती साहू का प्रसव जिला अस्पताल में हुआ, जिसे 24 घंटे में डिस्चार्ज कर दिया गया और किसी भी प्रकार की किट व टेबलेट प्रसूता को नहीं मिली।
* * ममता किट प्रसूता की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। गत सत्र तक किट विभाग द्वारा हर प्रसव पर दी जाती थी। इस वर्ष बजट के अभाव में यह किट वितरित नहीं हो रही है।
-अवनीश पटैरिया, जिला स्टोर प्रभारी, सीएमएचओ कार्यालय, छतरपुर