आईपीएल का सट्टा, 1 करोड़ का हिसाब-किताब व 1 लाख नकद मिला

एसपी के निर्देश पर शुरू हुआ ऑपरेशन शिकंजा, दुबई से जुड़े तार आईपीएल का सट्टा, 1 करोड़ का हिसाब-किताब व 1 लाख नकद मिला

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-05 18:04 GMT

डिजिटल डेस्क जबलपुर। आईपीएल क्रिकेट मैच में दिल्ली कैपिटल्स एवं गुजरात टाइटंस के बीच हुए मुकाबले के दौरान राइट टाउन स्थित एक अपार्टमेंट में पुलिस टीम ने छापा मारकर सट्टा खिला रहे अधारताल पुष्पक नगर निवासी देवेश विश्वकर्मा को पकड़ा। छापे की कार्रवाई के दौरान सटोरिये के पास से सट्टे की खाईबाजी का करीब 1 करोड़ का हिसाब-किताब व 1 लाख 3 हजार नकद व 8 मोबाइल बरामद किए गए। उक्त सटोरिया द्वारा दिलीप खत्री व बबला गुप्ता से लाइन लेकर सट्टा खिलाया जा रहा था। सट्टे के तार दुबई से जुड़े होना बताया जा रहा है। उक्त जानकारी एक पत्रवार्ता में एसपी तुषारकांत विद्यार्थी ने दी।
इस संबंध में बताया गया कि एसपी को जानकारी मिली थी कि राइट टाउन स्थित पितृछाया अपार्टमेंट की दूसरी मंजिल पर तरुण पवइया का फ्लैट है। उसे किराए पर लेकर देवेश विश्वकर्मा द्वार स्टार ऐप की आईडी पासवर्ड उपलब्ध करा कर ऑनलाइन क्रिकेट का सट्टा खिलाया जा रहा है। सूचना की तस्दीक कर क्राइम ब्रांच व लार्डगंज की टीम द्वारा छापेमारी की गई। छापे के दौरान कमरे में देवेश विश्वकर्मा टीवी पर मैच देखकर सट्टा लिख रहा था। पुलिस ने मौके से 4 पेज के सट्टे के लेन-देन का हिसाब, नकद 1 लाख 3 हजार, मोबाइल, कैलकुलेटर, टीवी, सेटअप बॉक्स आदि उपकरण जब्त किए। छापे के दौरान थाना प्रभारी संध्या चंदेल, चौकी प्रभारी दिनेश गौतम, क्राइम ब्रांच के अजय पांडे, राकेश बहादुर, ब्रह्मप्रकाश, रंजीत यादव, अमित पटैल, अभिषेक पांडे आदि की प्रमुख भूमिका रही।
दो और सटोरिये बने आरोपी
पकड़े गए सटोरिये देवेश से की गई पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ कि उसके द्वारा सटोरिये दिलीप खत्री व बबला गुप्ता से लाइन ली गई थी। पूछताछ के बाद देवेश के अलावा दोनों सटोरियों को भी आरोपी बनाया गया है। पुलिस इन दोनों आरोपियों की तलाश में जुटी है।
ऑनलाइन होता था चुकारा
पूछताछ में आरोपी ने बताया कि मैच में हार-जीत होने पर ऑनलाइन चुकारा होता था। सट्टा खेलने वालों से रकम पहले ही आईडी में जमा करा ली जाती थी और मैच के बाद देनदारी निकलने पर ग्राहक को ऑनलाइन भुगतान किया जाता था। पुलिस की नजर से बचने के लिए पूरा ट्रांजेक्शन ऑनलाइन और यूपीआई के जरिए किया जाता था।

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