भागवत कथा में कृष्ण की बाल लीला, गोवर्धन पूजा, रूकमणि विवाह प्रसंग का हुआ वर्णन
पवई भागवत कथा में कृष्ण की बाल लीला, गोवर्धन पूजा, रूकमणि विवाह प्रसंग का हुआ वर्णन
डिजिटल डेस्क पवई । नगर के बार्ड क्रमांक 11 निवासी दीपक सोनी अमित सोनी के निवास पर चल रही श्रीमदभागवत कथा के पांचवे दिन कथा व्यास पंडित दशरथ प्रसाद त्रिपाठी जी द्वारा बाल लीला, गोवर्धन पूजा एवं रूकमणी जी के विवाह की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि कंस के यहां कर स्वरूप जाने वाले दूध दही माखन को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार का खेल खेलते है जैसे माखन चोरी करना, बछडो को छोड देना यहां तक कि स्वयं को बछडो का स्वरूप बनाकर कंस के यहां जाने वाले दूध दही माखन को रोकने का प्रयास किया और सफल रहे महाराज जी ने गोवर्धन पूजा के महत्व के बारे बताया कि बृजबासी पहले इंद्र देव की पूजा किया करते थे ताकि अच्छी वारिस हो भगवान कृष्ण ने कहा कि गोवर्धन भगवान की पूजा अर्चना करे यही वर्षा करते है तभी से गिरिराज पर्वत की संसार पूजा करने लगा। रुक्मिणी विवाह प्रसंग मे बताया कि रुक्मिणी के पिता ने शिशु पाल के साथ विवाह निश्चित कर दिया जबकि वह एक दुष्ट दुराचारी था वह उससे से विवाह करना नही चाहती थी श्रीकृष्ण के नाम एवं प्रभाव से वशीभूत होकर वह भगवान को ही अपना पति मान चुकी थी । ब्राम्हण के द्वारा संदेश भेजा भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मणी की प्रेम भक्ति को स्वीकार करते हुए हरण कर विवाह किया।