अवैध कॉलोनी...डेटा तैयार करने में दिक्कत,दस्तावेजों में उलझा अमला
छिंदवाड़ा अवैध कॉलोनी...डेटा तैयार करने में दिक्कत,दस्तावेजों में उलझा अमला
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा । अवैध कॉलोनियों को वैध करने में नगर निगम का अमला डेटा कलेक्शन में उलझ गया है। महीनों बाद भी ये तय नहीं हो पाया है कि शहर की कितनी कॉलोनियों को वैध किया जाना है, जबकि आदेश आए लंबा समय गुजर गया है। अफसरों ने टीम बनाकर डेटा तैयार करने के निर्देश तक दे चुके हैं, लेकिन अलग-अलग विभागों से जानकारी आने के कारण अब अवैध को वैध करने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।
शासन ने आदेश जारी किए थे कि 31 दिसंबर 2016 के पहले की अवैध कॉलोनियोंं को वैध किया जाएगा। इन कॉलोनियों को वैध करने के पहले ये देखा जाएगा कि कॉलोनाइजर द्वारा सडक़, पार्क सहित अन्य सुविधाओं के लिए कॉलोनी में जगह छोड़ी है या नहीं। उसके बाद ही वैध करने की प्रक्रिया चलेगी। पूरे डेटा कलेक्शन में नगर निगम के अलावा राजस्व और रजिस्ट्री विभाग के अफसरों को भी शामिल किए जाने की बात कही जा रही थी। शासन से आए आदेश को तो महीनों बीत चुके हैं लेकिन अब तक ये तय नहीं हो पाया कि शहर के 48 वार्डों में किस वार्ड में कितनी अवैध कॉलोनियां मौजूद है। जिन्हें वैध किया जा सकता है।
साढ़े तीन सौ से ज्यादा अवैध कॉलोनी, 92 की सूची जारी
नगर निगम द्वारा पहले तैयार की गई सूची में 350 अवैध कॉलोनियों को चिन्हित किया था। इसमेंं 2016 के बाद काटी गई कॉलोनियों की सूची भी शामिल थे, लेकिन इनमें से 31 दिसंबर 2016 के पहले की कितनी कॉलोनी ये डेटा अभी तैयार नहीं है। पिछले दिनोंं निगम ने 92 अवैध कॉलोनियों की सूची जारी की थी। इन कॉलोनियों में वे भी शामिल थी। जो नगर निगम गठन के पहले काटी गई थी।
कहां आ रही दिक्कतें...
- कॉलोनियों का ज्यादातर रिकॉर्ड राजस्व के पास मौजूद है। इसमें आरआई और पटवारी की रिपोर्ट के बाद ये तय हो पाएगा कि कितने एरिया में अवैध कॉलोनी काटी गई है।
- राजस्व विभाग से डेटा लिया जाएगा कि इन कॉलोनियों के खसरे में हुई रजिस्ट्रियां किसने की और किसके नाम पर की गई है।
- वार्ड स्तर पर पहले निगम इंजीनियरों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन बिना राजस्व की रिपोर्ट के वे भी ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि अवैध कॉलोनी किसकी है।
इनका कहना है...
- जिन कॉलोनियों को वैध किया जाना है। उसकी सूची जल्द से जल्द तैयार करने की कोशिश होगी, ताकि इन कॉलोनियों में लोगों की सुविधाओं का विस्तार किया जा सकें।