फेसबुक-व्हाट्स एप्प पर अनिवार्य हो केवायसी, हाईकोर्ट ने दिए सरकारी गाइड लाइन पेश करने के निर्देश

फेसबुक-व्हाट्स एप्प पर अनिवार्य हो केवायसी, हाईकोर्ट ने दिए सरकारी गाइड लाइन पेश करने के निर्देश

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-17 09:25 GMT
फेसबुक-व्हाट्स एप्प पर अनिवार्य हो केवायसी, हाईकोर्ट ने दिए सरकारी गाइड लाइन पेश करने के निर्देश

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट में सोशल मीडिया फेसबुक और व्हाट्स एप्प पर केवायसी आईडी प्रूफ अनिवार्य करने के लिए जनहित याचिका दायर की गई है। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने दो सप्ताह में याचिकाकर्ता को इस संबंध में सरकारी गाइड लाइन पेश करने का निर्देश दिया है। तिलहरी निवासी अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि टेलीफोन कनेक्शन और बैंक अकाउंट खोलते समय से केवायसी ली जाती है, वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया फेसबुक और व्हाट्स एप्प पर अकाउंट खोलने के लिए किसी भी प्रकार केवायसी  आईडी प्रूफ के रूप में नहीं ली जाती है। इसकी वजह से बड़े पैमाने पर फर्जी अकाउंट खोलकर फेक न्यूज फैलाई जा रही है। कुछ लोगों ने अलग-अलग फर्जी नामों से कई फेक आईडी बना रखी है। इसकी वजह से समाज में धार्मिक वैमनस्यता फैलाई जा रही है। फेसबुक की वजह से परिवार में भी मतभेद हो रहे है। फेक आईडी के जरिए आर्थिक अपराध भी किए जा रहे है। याचिका में कहा गया कि फेसबुक और व्हाट्सअप पर आईडी प्रूफ अनिवार्य की जाए, ताकि समाज में नफरत फैलाने वालों की पहचान की जा सके।

50 से अधिक सदस्यों वाले व्हाट्सअप ग्रुप में शामिल हो पुलिस का एक सदस्य 

याचिका में कहा गया कि वर्तमान में व्हाट्स एप्प जनभावनाओं को भड़काने वाला माध्यम बन गया है। व्हाट्सअप पर नफरत फैलाने वाली पोस्ट धड़ल्ले से डाली जा रही है। याचिका में अनुरोध किया गया है कि 50 से अधिक सदस्यों वाले व्हाट्सअप ग्रुप में पुलिस का एक सदस्य शामिल हो, ताकि व्हाट्स एप्प की निरंतर मॉनीटरिंग की जा सके। 

केवल सरकारी संस्थानों के लिए गाइड लाइन 

याचिकाकर्ता ने युगल पीठ को बताया कि सरकारी संस्थानों द्वारा सोशल मीडिया के उपयोग के संबंध में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने गाइड लाइन बनाई है। केन्द्र सरकार ने अभी तक आम नागरिकों के लिए सोशल मीडिया के संबंध में किसी भी प्रकार की गाइड लाइन नहीं बनाई है। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने याचिकाकर्ता को दो सप्ताह में सरकारी गाइड लाइन पेश करने का निर्देश दिया है। याचिका की सुनवाई दो सप्ताह बाद नियत की गई है।

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