मैं खुशी में हूं का संस्कार बनाए-पूनम दीदी
नौ दिवसीय अलविदा तनाव मैं खुशी में हूं का संस्कार बनाए-पूनम दीदी
डिजिटल डेस्क, खामगांव. दो प्रकार के मन होते हैं, एक बाहर के कॉन्शस माईंड तो दूसरा अंतर्मन सब कॉन्शन माईंड होता हैं। अंतर्मन यह आज्ञाकारी सेवक होता हैं। रोज जो विचार मन को देंगें वह अंतर्मन में जाते हैं एवं पश्चात संस्कार बनता हैं। तब मैं खुशी में हुं, ऐसा संस्कार बनाए, ऐसा प्रतिपादन बी. के. पूनम दीदी इंदौर ने किया। खामगांव में ‘अलविदा तनाव’ के प्रथम पुष्प दौरान उन्होंने बताया। स्थानीय ब्रह्माकुमारी की ओर से मुक्तानंद नगर के खुले मैदान में नौ दिवसीय ‘अलविदा तनाव’ कार्यक्रम का उद्घाटन मंगलवार को शाम के समय किया गया। इस समय बी. के. रुख्मिनी दीदी, बी. के. शकुंतला दीदी, संतोष डीडवाणी, पत्रकार राजेश राजोरे आदि ने दीपप्रज्वलन किया। जिसके पहले मार्गदर्शिका बी.के. पूनम दीदी की ब्रह्माकुमारीज केंद्र से प्रवचन स्थल तक रथ में बैठाकर रैली निकाली गई। विविध महिला मंडल के कलशधारी महिला कार्यकर्ताओं ने सहभाग लिया था। उद्घाटन के समय सिंधी कॉलनी के छोटे बालकों ने स्वागत नृत्य किया। पतंजली योगा ग्रुप के २१ सदस्यों ने दीपप्रज्वलन समय शंख नाद किया। पूनम दीदी ने आगे कहा कि, एक विचार कई दिनों से लगातार करते आए की उससे अंतर्मन भरता हैं एवं वही संस्कार बनते हैं। सूर्योदय पहले अंतर्मन जगा रहता हैं। जिस कारण सुबह उठाकर हम २० मिनट जो विचार करेंगे वही विचार अपने अंतर्मन में जाते हैं। उस समय हर व्यक्ति ने सभी शक्तिमान होनेवाले ईश्वर की हम संतान होकर आनेवाले हर संकट एवं तनाव से भी हम शक्तिशाली हैं, ऐसा विचार करना चाहिए। उसी तरह मैं सुखी एवं तनावमुक्त होकर मेरे जीवन समस्या मुक्त है। मैं पुरी तरह से निरोगी हुं। मतलब सभी बीमारियों से मैं मुक्त हुं, ऐसा बिचार करना चाहिए, ऐसा भी पूनम दीदी ने कहा। जीवन में विश्वास यह सब से महत्व की शक्ति हैं। क्यु की विश्वास के कई संकल्प पुरे करते आते हैं। ईश्वर का हाथ मेरे सिर पर हैं। सफलता प्राप्त करना यह मेरा जन्मसिध्द हक हैं। इस पर विश्वास रखे जैसे बिचार हम करते हैं, वैसा हम बनते हैं। जिस कारण हमेशा अच्छे बिचार करने चाहिए। तनाव से मुक्ति मिलने के लिए आध्यात्मिक प्रयास महत्व के हैं, ऐसा उन्होंने कहा। पहले दिन के कार्यक्रम में हजारों की संख्या में महिलाएं एवं पुरुष उपस्थित थें।