Khamgaon News: विधानसभा चुनाव निर्वाचन क्षेत्र में आज भी पुरुषों का एकाधिकार, चिखली में महिला नेता का दमखम

  • 1,41,537 मतदाता महिलाओं में से एक भी चुनाव लड़ने योग्य नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-25 11:56 GMT

Khamgaon News : भले ही महिलाओं को समान अधिकार मिलने की बात हो रही हो, लेकिन राजनीति में यह तस्वीर बहुत संतोषजनक नहीं है। चाहे कितनी भी समानता की बात की जाए, राजनीति पर आज भी पुरुषों का ही एकाधिकार है। खामगांव विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में आज तक किसी भी पार्टी ने महिला उम्मीदवारों को मैदान में नहीं उतारा है। वैसे तो महिला नेताओं की कोई कमी नहीं है जो विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर सकें, लेकिन पुरुष वर्चस्व के कारण आज तक महिलाओं को मौका नहीं मिल पाया है। राजनीतिक दलों में महिला पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है, लेकिन बात जब चुनाव की आती है, तब उनको नामांकित करने के वक्त पार्टी द्वारा महिला उम्मीदवारों को जीतने और उनके जिम्मेदारी निभाने की क्षमता पर विचार किया जाता है। अगर महिलाओं को मौका दिया जाए, तो निश्चित तौर पर महिलाओं का वोट उस पार्टी की ओर आकर्षित हो सकता है।  


मौका नहीं मिलेगा तो साबित कैसे करोगे?

राजनीतिक दलों के लिए महिलाओं को मौका देने के बजाय हर सीट पर चुनाव जीतना महत्वपूर्ण हो गया है। अगर आप उस महिला को मौका नहीं देंगे, तो आप यह कैसे साबित करेंगे कि वह जीत सकती है?

चिखली में महिला नेता का दमखम

चिखली विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता पूर्व विधायक राहुल बोंद्रे के खिलाफ विद्यमान विधायक श्वेता महाले को भाजपा द्वारा टिकट दिया गया था, उन्हें कामयाबी भी मिली और वे भारी मतों से चुनाव भी जीतीं। इसी प्रकार खामगांव विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में भी यदि किसी महिला उम्मीदवार को टिकट दिया जाए तो परिवर्तन की लहर निर्वाचन क्षेत्र में दौड़ सकती है। जिस प्रकार एक महिला अपने परिवार के कल्याण हेतु कार्य करती है, उसी प्रकार एक महिला अपने निर्वाचन क्षेत्र में भी खुशहाली लाने में सक्षम साबित हो सकती है। देश के राष्ट्रपति पद पर एक महिला नेतृत्व काम कर रहा है। देश के अर्थ मंत्री पद पर निर्मला सीतारमण उम्दा काम करते नजर आ रहीं हैं। खामगांव विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में भी ऐसी कई सुशिक्षित महिलाएं हैं, जो अलग-अलग राजनीतिक दलों में तथा समाज के लिए काम करती हैं। उन्हें यदि मौका दिया जाएं तो खामगांव विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र को विकास के लिए एक नया चेहरा प्राप्त हो सकता है। पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आ रही पुरुष प्रधान एकाधिकार वाली राजनीति को भी ब्रेक लग सकेगा। ऐसा मत महिलाओं द्वारा व्यक्त किया जा रहा है।

राजनीति में महिलाओं के लिए संघर्ष बहुत बड़ा है। संयुक्त  महाराष्ट्र के गठन को 68 साल हो गए है लेकिन आज तक महाराष्ट्र में एक भी महिला मुख्यमंत्री नहीं बनी है। साथ ही खामगांव के इतिहास में कोई भी महिला विधायक नहीं है। खामगांव विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल 2 लाख 96 हजार 605 मतदाता हैं। इनमें पुरुष 1 लाख 55 हजार 63 होकर महिलाओं की संख्या 1 लाख 41 हजार 537 हैं तथा 5 तृतीयपंथी का समावेश है। पुरुष मतदाताओं की तुलना में 13 हजार 526 महिला मतदाता कम हैं। हर चुनाव में महिला मतदाता बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं और अपना अमूल्य वोट देश के लिए देती हैं।  ऐसे में इतने सालों में पार्टियों को क्या एक भी महिला पदाधिकारी अथवा कार्यकर्ता चुनाव लड़ने योग्य नजर नहीं आई, ऐसा सवाल महिलाओं में उपस्थित किया जा रहा है। 

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