वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट मामले में हाईकोर्ट का निर्देश- याचिकाकर्ता को सरकार देगी एक लाख रुपए
वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट मामले में हाईकोर्ट का निर्देश- याचिकाकर्ता को सरकार देगी एक लाख रुपए
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि परिवहन कार्यालयों (RTO) में वाहनों के फिटनेस टेस्ट सर्टीफिकेट जारी करने में बरती जा रही लापरवाही और नियमों के उल्लंघन की जांच के लिए आईएएस अधिकारी की नियुक्ति करें। साथ ही अदालत ने इस लापरवाही को उजागर करनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता व याचिकाकर्ता श्रीकांत कर्वे को खर्च के रुप में एक लाख रुपए देने को कहा है। न्यायमूर्ति अभय ओक और न्यायमूर्ति एके मेनन की खंडपीठ ने यह निर्देश देते हुए कहा कि आईएएस अधिकारी को जांच में सहयोग के लिए परिवहन विभाग के संयुक्त आयुक्त को तैनात करें।
नियमों का पालन किया जाता है या नहीं?
खंडपीठ ने साफ किया कि आईएएस अधिकारी सिर्फ सोलापुर में रहकर पुणे से वाहनों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करनेवाले अधिकारी की ही जांच न करे। वे सभी पहलुओं की जांच कर अपनी रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में अदालत में पेश करे। जांच के दौरान आईएएस अधिकारी इस बात का पता लगाए कि आरटीओ में पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। यह पता लगाने के लिए कि टेस्ट के दौरान नियमों का पालन किया जाता है या नहीं, नियमित अंतराल पर औचक निरीक्षण किया जाए। इसके साथ ही इस पूरे प्रकरण की जानकारी संबंधित विभाग के मंत्री को भी दी जाए।
याचिकाकर्ता को सरकार देगी एक लाख रुपए
खंडपीठ ने कहा कि जो काम सरकारी अधिकारियों को करना चाहिए वह याचिकाकर्ता ने किया है। उसने लोगों की सुरक्षा के मुद्दे को उठाया है। इसमे उसका कोई निजी हित नहीं है। बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में याचिकाकर्ता ने प्रकरण को लेकर सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी जुटाई है। इसके लिए उसे भाग-दौड़ करनी पड़ी है। इसलिए सरकार याचिकाकर्ता को एक लाख रुपए प्रदान करे।
15 दिसंबर तक पुरा हो भंडारा-चंद्रपुर में टेस्ट ट्रैक का निर्माण
खंडपीठ ने कहा कि अहमदनगर, जलगांव, भंडारा और चंद्रपुर में ब्रेक टेस्ट ट्रैक का निर्माण कार्य 15 दिसंबर 2017 तक पूरा किया जाए। जबकि बीड, गडचिरोली और परभणी में टेस्ट ट्रैक बनाने का काम 31 मार्च 2018 तक पूरा किया जाए। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 19 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार ऐसी व्यवस्था बनाए जिसके तरत सुनिश्चित किया जा सके कि दूसरी जगह तैनात RTO अधिकारी किसी अन्य क्षेत्रिय परिवहन कार्यालय (RTO) से वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं कर सके। इससे पहले खंडपीठ को बताया गया कि सोलापुर में तैनात RTO के एक अधिकारी ने पुणे आरटीओ से 72 गाडियों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया है। न्यायमूर्ति अभय ओक और न्यायमूर्ति एके मेनन की खंडपीठ ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। ऐसा अन्य RTO में भी हो सकता है। इसलिए सरकार ऐसी व्यवस्था बनाए जिससे कही और तैनात अधिकारी दूसरी जगह जाकर वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र न जारी कर सके।
सरकार का आश्वासन, रोकी जाएगी गड़बड़ी
इस बीच खंडपीठ को यह भी जानकारी दी गई की ठाणे में पंजीकृत वाहनों को रत्नागिरी और चिपलून के RTO से फिटनेस प्रमाणपत्र जारी कराया जाता है। जबकि वहां पर वाहनों का टेस्ट करने के लिए जरुरी ट्रैक ही नहीं है। इस पर सरकारी वकील अभिनंदन व्याज्ञानी ने कहा कि हमने सोलापुर में तैनात होकर पुणे से वाहनों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करनेवाले अधिकारी को निलंबित कर दिया है। उसके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरु की गई है। अब सरकार एक ऐसी व्यवस्था बनाएगी जिससे फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने में होनेवाली गड़बड़ी को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि उस्मानाबाद आरटीओ में टेस्ट के लिए बनाए गए ट्रैक सात दिन में सेवा के लिए तैयार हो जाएंगे। बारामती का ट्रैक तैयार कर लिया गया है। बाकी RTO में ट्रैक बनाने के लिए सरकार को समय दिया जाए।
गड़बडियों को जनहित में किया सार्वजनिक
इन दलीलों पर खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता श्रीकांत कर्वे ने RTO में हो रही गड़बडियों को जनहित में सार्वजनिक किया। लिहाजा सरकार बताए कि वह याचिकाकर्ता को कितनी रकम का भुगतान करेगी। खंडपीठ ने सरकार को शुक्रवार को अदालत को इसकी जानकारी देने को कहा है। खंडपीठ ने कहा कि हम 17 नवंबर को यह निर्देश देंगे कि बाकी आरटीओ में ट्रैक के निर्माण के लिए कितना वक्त दिया जाएगा।