जिला अस्पताल में नहीं हो रही दिल की धडक़नों की जांच

छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में नहीं हो रही दिल की धडक़नों की जांच

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-03 10:44 GMT
जिला अस्पताल में नहीं हो रही दिल की धडक़नों की जांच

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल में दिल की धडक़न जांचने की सुविधाएं नहीं है। हालात यह है कि यहां एडवांस मशीनें तो है लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों का टोटा है। मेडिकल कॉलेज डीन (कार्डियोलॉजिस्ट) ईको जांच करने में दक्ष है लेकिन वे कॉलेज प्रबंधन के कार्य में व्यस्त होते है। इस वजह से इमरजेंसी में भी मरीजों को ईको की सुविधा नहीं मिल पाती। मजबूरी में मरीजों को नागपुर या निजी संस्थानों में जाना पड़ता है।
जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में एमडी मेेडिसिन पदस्थ है, लेकिन अनुभव न होने की वजह से वे ईको जांच नहीं करते। एमडी मेडिसिन ट्रेनिंग लेकर मरीजों का ईको कर सकते है, लेकिन सरकारी अस्पताल के डॉक्टर रूचि नहीं ले रहे है। विशेषज्ञ चिकित्सक और स्टाफ की कमी के चलते टूडी ईको और कलर ड्रापलर ईको के लिए नागपुर भेजा जा रहा है।
टीएमटी जांच भी नहीं हो रही-
जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर टीएमटी जांच (ट्रेडमिल टेस्ट) कर सकते है, लेकिन वह भी नहीं करते। जिला अस्पताल में आने वाले पेशेंट को हर जांच के लिए निजी संस्थानों में भेजा जाता है। मेडिकल कॉलेज बनने के बाद जरुरी जांचें जिला अस्पताल में ही होनी चाहिए।
कब कराया जाता है ईको-
चिकित्सकों के मुताबिक मरीज की जांच में यदि दिल की धडक़न में किसी प्रकार की असामान्यता महसूस होती है तो उसे ईको जांच की सलाह दी जाती है। जिला अस्पताल में मौजूद एडवांस मशीन से ईको और सोनोग्राफी दोनों हो सकती है, लेकिन यहां विशेषज्ञ चिकित्सक ही नहीं है।
जांच से इलाज में होती है आसानी-
ईको जांच में वाल्व और चैंबर की स्थिति स्पष्ट होती है। हार्ट के आकार, पंप करने की क्षमता, वाल्व संबंधी रोग, हार्ट की मांसपेशियों की स्थिति और ट्यूमर व जन्मजात हार्ट रोग संबंधी जानकारी मिलती है। जांच के आधार पर हार्ट पेशेंट के इलाज में डॉक्टर को आसानी होती है।
 

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