नाबालिग बेटियों को गर्मी की छुट्टियों में माता-पिता के सुपुर्द करने का आदेश
नाबालिग बेटियों को गर्मी की छुट्टियों में माता-पिता के सुपुर्द करने का आदेश
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने नानी और मौसी के साथ रह रही नाबालिग बेटियों को गर्मी की छुट्टियों में माता-पिता के सुपुर्द करने का आदेश दिया है। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने यह अंतरिम आदेश माता-पिता की ओर से पेश किए गए आवेदन पर दिया है। प्रकरण के अनुसार कानपुर निवासी दीपक राजभर का विवाह कटनी निवासी शीतल राजभर से हुआ था। दोनों के बीच विवाद होने पर शीतल राजभर अपनी दो बेटियों समृद्धि और सांभवी के साथ अपने मायके कटनी में रहने लगी। वर्ष 2014 में कुटुम्ब न्यायालय ने पति-पत्नी के बीच समझौता करा दिया। इसके बाद शीतल अपने पति के साथ कानपुर में रहने लगी, लेकिन उनकी दोनों बेटियों को नानी और मौसी ने कानपुर नहीं भेजा। दोनों कटनी में ही रहकर पढ़ाई करती रही। वर्ष 2016 में दीपक राजभर ने जब अपनी सास शांति देवी राजभर से अपनी दोनों बेटियों को कानपुर भेजने के लिए कहा तो उन्होंने साफ तौर पर इनकार कर दिया। शांति देवी का कहना था कि तुम लोग बच्चियों का पालन-पोषण करने लायक नहीं हो, इसलिए बच्चियां नहीं दी जाएगी।
कुटुम्ब न्यायालय ने दिया माता-पिता के पक्ष में आदेश
दीपक राजभर और शीतल राजभर ने बच्चियों की सुपुर्दगी लेने के लिए कुटुम्ब न्यायालय कटनी में आवेदन पेश किया। कुटुम्ब न्यायालय ने एक माह के भीतर बच्चियों को उनके माता-पिता के सुपुर्द करने का आदेश दिया। नानी और मौसी की ओर से हाईकोर्ट में अपील पेश कर कहा कि दोनों बच्चियां कटनी में पढ़ रही है। उनके माता-पिता की हैसियत बच्चियों के परवरिश करने की नहीं है। इसलिए कुटुम्ब न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई जाए। माता-पिता की ओर से अधिवक्ता बालकिशन चौधरी ने तर्क दिया कि बच्चियों के प्राकृतिक संरक्षक उनके माता-पिता है। उन्हें बच्चियों को अपने साथ रखने का अधिकार है। बच्चियां कई बच्चों से अपनी नानी के यहां रह रही है। प्रांरभिक तौर पर गर्मियों की छुट्टियों में बच्चियों को माता-पिता के सुपुर्द किया जाए। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने बच्चियों को गर्मियों की छुट्टी में माता-पिता के सुपुर्द करने का आदेश दिया है।