जर्मन शेफर्ड डॉग ने खून देकर बचाई दूसरे श्वान की जान, पशु चिकित्सक ने किया प्रयोग
जर्मन शेफर्ड डॉग ने खून देकर बचाई दूसरे श्वान की जान, पशु चिकित्सक ने किया प्रयोग
डिजिटल डेस्क,नरसिंहपुर। इंसानों को रक्तदान करते देखा या सुना सुना गया है किंतु नरसिंहपुर जिले में एक जर्मन शेफर्ड नस्ल के पालतू श्वान की जान बचाने दूसरे श्वान द्वारा रक्तदान करने का मामला संभवत: पहला ही है । पशु चिकित्सकों ने उसे रक्त की चढ़ाने का काम सफलतापूर्वक पूरा किया । एक ओर जहां पशु चिकित्सकों ने इस काम में मेहनत लगाई वहीं श्वान की मालिक ने उसके लिए रक्त की व्यवस्था कराने की जुगत लगाई।
90 एमएल रक्त दूसरे श्वान से लिया गया
श्वान के लिए रक्तदान के लिए उसी नस्ल के एक स्वस्थ श्वान की आवश्यकता को पूरा करने के लिए भी जुगत लगाई गई। समीपी ग्राम के कृषक द्वारा अपने श्वान का रक्तदान करने में सहयोग किया गया। कृषक अपने श्वान को रक्तदान कराने के लिए गांव से आए और करीब 90 एमएल रक्त उनके श्वान के शरीर से निकालकर कमजोर बीमार श्वान को चढ़ाया गया। इस संबंध में रौंसरा निवासी श्रीमती वंदना जाटव ने बताया कि उनका 6 वर्षीय जर्मन शेफर्ड नस्ल का डॉग करीब एक माह से बीमार था। उसे पशु चिकित्सकों को दिखाया तो जांच के बाद उन्होंने आवश्यक दवाईंयां देते हुए उसे रक्त चढ़वाने की सलाह दी। अब समस्या थी कि कि उसी नस्ल यानि जर्मन शेफर्ड श्वान के किसी मालिक को रक्तदान के लिए कैसे तैयार किया जाए।
रक्त की कमी की वजह से कमजोर था
इस समस्या के संबंध में कुछ लोगों से संपर्क किया गया उसके बाद जब कोसमखेड़ा निवासी कृषक महेंद्र प्रताप सिंह से चर्चा की गई तो वह अपने पालतू इसी नस्ल के श्वान का रक्त देने के लिए राजी हो गए। वह अपने पालतू श्वान के साथ रौंसरा आए और वहां पशु चिकित्सकों ने उसका रक्त निकाला। इस संबंध में पशु चिकित्सक डॉ. संजय कुमार मांझी ने बताया कि श्रीमती जाटव का श्वान उम्र बढ़ने के साथ ही रक्त की कमी की वजह से कमजोर हो रहा था। जांच की गई तो उसके लिए किसी अन्य श्वान के रक्त को निकालकर चढ़ाने की आवश्यकता समझ आई। बीमारी की वजह से श्वान में हीमोग्लोबिन कम था जिससे वह कमजोर था। पशु धन संजीवनी केंद्र के डॉक्टर रोशन चौधरी ने बताया कि ब्लड डोनेट करने वाला डॉग स्वस्थ्य है और यह हमारे लिए प्रेरणास्रोत्र है कि ब्लड डोनेट करने से कोई नुकसान नहीं होता।