सरकारी कार्यों में रिश्वत मांगने की महज चार दिन के अंदर आईं पांच शिकायतें, फिलहाल आरोपियों की जानकारी गुप्त रखी गई

छतरपुर सरकारी कार्यों में रिश्वत मांगने की महज चार दिन के अंदर आईं पांच शिकायतें, फिलहाल आरोपियों की जानकारी गुप्त रखी गई

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-19 11:01 GMT
सरकारी कार्यों में रिश्वत मांगने की महज चार दिन के अंदर आईं पांच शिकायतें, फिलहाल आरोपियों की जानकारी गुप्त रखी गई

डिजिटल डेस्क, छतरपुर। सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जीरो करप्शन के लिए प्रशासन द्वारा की गई अनोखी पहल का असर दिखने लगा हैं। जिला प्रशासन ने सरकारी कार्यों रिश्वत मांगने वाले अफसर और कर्मचारियों की शिकायत दर्ज कराए जाने के लिए हेल्पलाइन जारी होने के 4 दिन के अंदर पांच घूस मांगने वाले अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई है। संयुक्त कलेक्टर द्वारा रिश्वत करने वाले आवेदकों का का नाम गोपनीय रखें जाने से आमलोग बेहिचक होकर अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा रहे है। जानकारों का कहना है कि घूस मांगने वाले अधिकारी और कर्मचारियों की गोपनीय तौर पर जांच भी शुरू हो गई है। हालांकि नोडल अधिकारी ने जांच पूरी होने तक सरकारी काम लटका कर रिश्वत मांगने वालों का नाम गोपनीय रखा है।

शिकायत के साथ साक्ष्य भी होंगे अपलोड

कलेक्ट्रेट में संचालित कंट्रोल रूम ने भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज किए जाने के लिए पोर्टल ऑप्शन दिया गया है। आवेदकों द्वारा कंट्रोल रूम में शिकायत दर्ज करने के साथ ही रिश्वत मांगने वाले अधिकारी और कर्मचारी की अलग से रिपोर्ट जनरेट की जाएगी। इतना ही नहीं आवेदक घूस मांगने का ऑडियो और वीडियो एवं अन्य दस्तावेज शिकायत के साथ अपलोड करा सकेंगे।

पहचान नहीं होगी उजागर

रिश्वत मांगने वाले आवेदक की जांच पूरी होने तक पहचान उजागर नहीं की जाएगी। यदि जांच के दौरान आवेदक के बयान की जरूरत पड़ती है तो वह भी गोपनीय तौर पर दर्ज किए जाएंगे। संयुक्त कलेक्टर और नोडल अधिकारी द्वारा जांच पूरी करने पर रिपोर्ट कलेक्टर को भेजी जाएगी। जांच में यदि आरोप- प्रमाणित पाए जाते है तो कलेक्टर अपने अधिकारिता के अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ एक्शन लेंगे। बताया जाता है कि वह अधिकारी जिन्हें कलेक्टर सस्पेंड नहीं कर सकते है, उनके खिलाफ प्रस्ताव संभागायुक्त सागर और पीएस को भेजा जाएगा।

राजस्व में सबसे अधिक भ्रष्टाचार की शिकायत

सूत्रों का कहना है कि राजस्व विभाग में सबसे अधिक भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायत सामने आई है। आरोप है कि तहसील और एसडीएम ऑफिस में सक्रिय दलाल अफसरों के नाम पर घूस ले रहे है। इतना ही नहीं कुछ निर्माण एजेंसियों में बिल पास किए जाने के नाम पर घूस मांगे जाने की शिकायत दर्ज हुई है। सूत्रों का कहना है कि नामांतरण और राजस्व न्यायालय में विचाराधीन मामले में अफसरों की सह पर प्राइवेट कर्मियों और बाबूओं द्वारा सौदेबाजी की जा रही है।

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