मुड़हरा में दो पक्षों में फायरिंग, हैंडपंप पर पानी भर रही 12 साल की बच्ची को लगी गोली
मुड़हरा में दो पक्षों में फायरिंग, हैंडपंप पर पानी भर रही 12 साल की बच्ची को लगी गोली
जिला अस्पताल में ऑपरेशन नहीं हो पाने से 12 साल की बच्ची को निजी एंबुलेंस से ग्वालियर ले जाना पड़ा
डिजिटल डेस्क छतरपुर । प्रकाश बम्होरी थाना क्षेत्र के मुड़हरा गांव में दो पक्षों में विवाद के दौरान एक पक्ष ने गुरुवार को दोपहर 3.30 बजे हवाई फायरिंग कर दी। इसी दौरान हैंडपंप पर पानी भर रही 12 वर्षीय बच्ची को गोली लग गई। घायल बच्ची को परिजन बारीगढ़ स्वास्थ केंद्र ले गए, जहां सीने में गोली लगने से हालत गंभीर होने पर उसे जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया। शाम 7 बजे बच्ची के परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। जहां एक्सरे कराने के बाद गोली निकालने के लिए मशीन न होने की वजह से उसे ग्वालियर रैफर कर दिया गया। एसपी सचिन शर्मा ने प्रकाश बम्हौरी थाना प्रभारी स्वर्णप्रभा दुबे का बमनौरा तबादला कर दिया है।
ये है मामला
मुड़हरा गांव के कुरयाना मोहल्ला में विजय अनुरागी का अपने परिवार के कल्ला अनुरागी और उसके पुत्र बबलू अनुरागी से दोपहर में विवाद हो गया। विवाद के दौरान विजय ने कट्टा से फायर कर दिया। इस पर बदले में बबलू ने भी सामने से फायर कर दिया। दोनों ओर से गोली चल रही थी, तभी एक गोली हैंडपंप पर पानी भर रही 12 वर्षीय सृजल विश्वकर्मा पिता हल्के विश्वकर्मा को लग गई। सृजल को गोली सीने में दाईं ओर पसली के बगल में लगी। इससे वह खून से लथपथ होकर जमीन पर गिर पड़ी। घटना की जानकारी लगने पर पिता हल्के विश्वकर्मा बच्ची को लेकर पहले बारीगढ़ अस्पताल पहुंचे और फिर जिला अस्पताल लाया गया। जिला अस्पताल में ओटी की सी आर्म मशीन खराब होने के कारण बच्ची की गोली नहीं निकाली जा सकी है। उसे आनन-फानन में ग्वालियर रैफर कर दिया गया है।घटना के बाद से आरोपी फरार है। पुलिस की एक टीम बच्ची के साथ अस्पताल आई और दूसरी टीम आरोपी की तलाश कर रही है। प्रकाश बम्होरी थाना प्रभारी स्वर्णप्रभा दुबे का कहना है कि सृजल को आरोपी विजय के कट्?टे से चली गोली लगी है। जल्द आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। वे घटनास्थल पर ही हैं।
गरीब बिटिया को ग्वालियर जाने के लिए नहीं मिली सरकारी एंबुलेंस, मजबूरी में प्राइवेट वाहन से ले गए
जिला अस्पताल में इन दिनों रैफर मरीज सरकारी एंबुलेंस के लिए मोहताज हैं। यहां 12 साल की सृजल की गरीबी देखकर हर किसी को तरस आ रहा था, लेकिन उसको कोई नजरअंदाज कर रहा था तो बस जिला अस्पताल का स्टाफ। आनन-फानन में बच्ची को अस्पताल के डॉक्टर ने ग्वालियर ले जाने को कह दिया, लेकिन सृजल के पिता हल्के के पास ग्वालियर ले जाने के लिए कोई इंतजाम नहीं था। उसे बच्ची को ग्वालियर ले जाने के लिए न तो 108 मिली और न ही अस्पताल ने सरकारी एंबुलेंस का ही इंतजाम किया, जबकि अस्पताल में सांसद निधि से दी गई एंबुलेंस एवं जिला अस्पताल की खुद की एंबुलेंस उपलब्ध हैं। इसी तरह 108 एंबुलेंस से भी मरीज को भेजा जा सकता था, लेकिन एक भी सरकारी एंबुलेंस गरीब परिवार को नहीं मिल सकी। इस कारण उसे एक प्राइवेट एंबुलेंस से ग्वालियर ले जाया गया। हालांकि मौके पर दो सरकारी एंबुलेंस मौजूद भी थीं, लेकिन इनका उपयोग नहीं कर लोगों को प्राइवेट एंबुलेंस से बाहर जाने के लिए मजबूर किया जाता है। जिला अस्पताल में प्राइवेट एंबुलेंस का रैकेट एक अरसे से निरंकुश तरीके से चल रहा था। इसमें अस्पताल के एंबुलेंस से जुड़े कर्मचारी भी शामिल हैं। इस कारण सरकारी एंबुलेंस यहां खड़ी रह जाती हैं और लोगों को प्राइवेट एंबुलेंस का उपयोग मजबूरी में करना होता है।