माथनी कोयला खदान में भड़की आग, मजदूरों में मची अफरा तफरी
माथनी कोयला खदान में भड़की आग, मजदूरों में मची अफरा तफरी
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा/परासिया। पेंचक्षेत्र की माथनी भूमिगत कोयला खदान में पिछली रात आग लगने की घटना सामने आई। कामगारों ने खदान की सुरंग में धुआं उठता देखकर प्रबंधन को जानकारी दी, जिसके बाद रेस्क्यू टीम ने मोर्चा संभाला और खदान के आग प्रभावित क्षेत्र में हवा का संपर्क बंद करने सुरक्षा दीवार-स्टापन खड़ा किया। स्टापन तैयार कर आग पर नियंत्रण पाने का प्रयास जारी है। खदान के अंदर और बाहर लम्बे समय से रखा कोयला स्वत: दहन प्रक्रिया से सुलग उठता है। माथनी खदान में सुरक्षा की अनदेखी और माइनिंग एक्ट का उल्लंघन करने से ऐसी स्थिति निर्मित हुई है। आग लगने की घटना उस स्थान के समीप हुई, जहां उत्पादन कार्य जारी रहने से अधिक संख्या में कामगार मौजूद रहते हैं। सुरंगों में धुआं पहुंचने से कामगारों में अफरा-तफरी मच गई।
उत्पादन क्षेत्र हुआ प्रभावित
माथनी खदान के अंदर मेन डिप 19 लेवल की तीन सुरंगों में हुए फॉल का कोयला को प्रबंधन द्वारा उठाकर बाहर निकालने का काम जारी है, जिसके लिए यहां तीन एचएचडी मशीन चलती है। किसी पुरानी सुरंग के स्टाफन में दरार आने और आग सुलगने से धुआं सुरंग में भर गया, जिससे खदान में मौजूद मेन पावर को तत्काल बाहर निकाला गया। उत्पादन क्षेत्र के समीप ही आग लगने की घटना से उत्पादन बाधित हुआ है। ऐसी स्थिति आगामी लम्बे समय तक बनी रहने का अंदेशा है।
फस्ट और सेकेंड शिफ्ट में नहीं गए मजदूर खदान में
माथनी में 335 कामगार कार्यरत हैं। यहां प्रतिदिन लगभग 350 टन कोयला उत्पादन होता है। आग लगने की घटना नाइट शिफ्ट में सामने आने पर फस्र्ट शिफ्ट में लगभग 150 कामगार और सेकेंड शिफ्ट में लगभग 80 कामगार काम करने खदान के अंदर नहीं पहुंचे।
कई गुना बढ़ गई कार्बन मोनो ऑक्साइड
कोयला खदान में कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस होती है। खदान के अंदर सीओ 50 पीपीएम तक होना चाहिए जो बढ़कर 1203 पीपीएम तक पहुंच गई। कार्बन मोनो ऑक्साइड को जांचने वाला डिटेक्टर खदान में शिफ्ट इंचार्ज और अंडर मैनेजर के पास होता है। कामगारों का कहना है कि शिफ्ट इंचार्ज अक्सर खदान के अंदर नहीं जाते हैं, जिससे ऐसी स्थिति बनी। रविवार को भी खदान में तीन ओवरमेन की ड्यूटी थी, जिसमें से एक भी ओवरमेन खदान के अंदर नहीं गया था।
डिप में बेल्ट बैठाने काम हुआ बंद
खदान से कोयला निकालने जिस डिप में बेल्ट बैठाने का काम विगत छह माह से जारी था, इस आग लगने की घटना से उस डिप को सील किया जा रहा है, जिससे अब खदान से बेल्ट के माध्यम से कोयला निकालना आगामी कई महीनों तक संभव नहीं होगा। जिसका असर कोयला उत्पादन पर पड़ेगा। वहीं खदान चालू रही तो कोयला निकालने की लागत भी बढ़ेगी।
इनका कहना है
आग लगने की जानकारी मिलते ही कामगारों को खदान के अंदर से बाहर निकाला गया। रेस्क्यू टीम आग को काबू पाने खदान के अंदर जुटी हुई है। वहीं सोमवार को फस्र्ट और सेकेंड शिफ्ट में कामगार खदान के अंदर काम करने नहीं भेजे गए। स्थिति को नियंत्रित कर लिया जाएगा। -एस व्यास, प्रबंधन, माथनी खदान, पेंचक्षेत्र