आदिवासी आश्रम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का बनेगा डिजिटल हेल्थकार्ड

आदिवासी आश्रम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का बनेगा डिजिटल हेल्थकार्ड

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-10 12:42 GMT
आदिवासी आश्रम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का बनेगा डिजिटल हेल्थकार्ड

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार आदिवासी आश्रम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के डिजीटल हेल्थ कार्ड बनाने की तैयारी कर रही है। इस हेल्थ कार्ड को आदिवासी विभाग के वेब पोर्टल में अपलोड किया जाएगा। जिसके जरिए बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालने वाली बीमारियों के कारणों का विश्लेष्ण किया जाएगा और फिर बीमीरियों की रोकथाम के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे। शुक्रवार को राज्य सरकार के आदिवासी आयुक्त ने सरकार के इस प्रस्तावित कदम की बांबे हाईकोर्ट को जानकारी दी। हाईकोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता रविंद्र तल्पे की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है।

याचिका में दावा किया गया है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में आदिवासी आश्रम स्कूलों में बच्चों की मौत होती है। ज्यादातर बच्चों की मौत, बुखार, बिजली का करंट लगने, सांप व बिच्छु के काटने के चलते हुई है। इसके साथ ही आश्रम स्कूलों में बुनियादी सुविधआें न होने का भी दावा किया गया है।

मामले की पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील उदय वारुंजकर ने हाईकोर्ट को बताया था कि आदिवासी आश्रम स्कूलों की स्थिति में सुधार कैसे लाया जा सकता वहां पर क्या किए जाने की जरुरत है। इसको लेकर टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस ने अपनी रिपोर्ट अदालत व सरकार को सौंपी है, लेकिन रिपोर्ट में दिए गए सुझावों पर अब तक गौर नहीं किया गया है। 

शुक्रवार को  यह याचिका जस्टिस आरवी मोरे व जस्टिस अनूजा प्रभुदेसाई की बेंच के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान आदिवासी विकास आयुक्त ने आदिवासी आश्रम शाला में पढनेवाले बच्चों को सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी लिखित रुप से बेंच के सामने पेश की। जिसके मुताबिक राज्य भर में 502 सरकारी आदिवासी आश्रम शाला कार्यन्वित है। जबकि 546 अनुदानिक आश्रम शाला चलती है। इन आश्रम स्कूलों में दो लाख 43 हजार 188 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे है। आदिवासी विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार आदिवासी आश्रम स्कूलों को सभी जरुरी सुविधाएं समय पर मिले इसके लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तर पर समन्वय कमेटी बनाई गई है।

आदिवासी इलाको में बाल मृत्यु रोकने के लिए भी स्वतंत्र कमेटी बनाई गई है। इसके अलावा आश्रम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिले,पढाई के लिए जरुरी सुविधाएं उपलब्ध हो तथा उन्हें अच्छा भोजन दिया जाए। इसके लिए भी आवश्यक कदम उठाए गए है। बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए एक टोल फ्री नंबर भी दिया गया है। एम्बुलेंस की सेवा भी प्रदान की गई है। पूर्व स्वास्थय महासंचालक डां. सुभाष सालुंखे की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए भी प्रभावी कदम उठाए गए है।

भविष्य में बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाए मिल सके इसके लिए आदिवासी आश्रम स्कूलों में पढनेवालों बच्चों का डिजिटल हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा और बच्चों का एक डेटा बेस तैयार किया जाएगा। इसके अलावा स्कूल की प्रबंधन कमेटी को अपात स्थिति में बीमार बच्चे को निजी अस्पताल में भर्ती करने के लिए अलग से निधि उपल्ध कराई गई है। बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए विशाखा कमेटी का भी गठन किया गया है। आदिवासी विभाग की रिपोर्ट को देखने के बाद बेंच ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी और कहा कि हम अगली सुनवाई के दौरान जरुरी निर्देश देंगे। 

 

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