44 लाख का जुर्माना जमा किया न सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रस्ताव ही शासन को भेजा
एनजीटी ने दिखाई सख्ती - कलेक्टर पूर्व की जुर्माना राशि सवा साल के भीतर पर्यावरण को हुई अन्य क्षति का आंकलन करते हुए जमा 44 लाख का जुर्माना जमा किया न सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रस्ताव ही शासन को भेजा
डिजिटल डेस्क गाडरवारा/नरसिंहपुर। जिस नगरपालिका प्रशासन पर शहर के नदी नालों को संरक्षित व संवद्र्धित करते हुए इनके शुद्धिकरण व पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी थी उसने न सिर्फ अपने दायित्वों के निर्वहन में कोताही बरती वरन चेताए जाने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। न तो मप्र पदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वरा प्रदूषण फैलाने के लिए अधिरोपित किया गया 44 लाख का जुर्माना पर्यावरण राहत कोष में जमा कराया और न ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का प्रस्ताव ही शासन को भेजा। समूचा मामला जब एनजीटी के समक्ष पहुंचा तो उसने सख्ती दिखाई और कलेक्टर सहित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पूर्व की जुर्माना राशि सवा साल भीतर पर्यावरण को हुई अन्य क्षति का आकलन करते हुए अतिरिक्त जुर्माने के साथ 23 नवम्बर के पहले जमा कराने और एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) का प्रपोजल भेजने के निर्देश दिए हैं। इसके अतिरिक्त शक्कर तथा सीतारेवा नदी सहित शहर नालों के आसपास वृक्षारोपण कराए जाने के भी निर्देश दिए हैं। शहर नालों के गंदे पानी सहित अपशिष्ट पदार्थों के शक्कर तथा सीतारेवा नदी में मिलने/छोड़े जाने का मामला 2016 में सामने आया था।
नागरिकता उपभोक्ता मंच ने की शिकायत
नागरिक उपभोक्ता मंच ने इसकी शिकायत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित कलेक्टर, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग और विभिन्न सम्बंधित विभागों में की। इन सबने भी जब ध्यान नहीं दिया तो नागरिक उपभोक्ता मंच के प्रांतीय संयोजक मनीष शर्मा व पवन कौरव एनजीटी में जनहित याचिका दायर की। इस याचिका पर विगत दिवस सुनवाई करते हुए जस्टिस शिव कुमार सिंह व अरुण कुमार वर्मा की बेंच ने कलेक्टर तथा एमपीपीसीबी को निर्देश दिए कि वह 44 लाख रुपए के जुर्माना के साथ, जुलाई 2020 से नबम्बर 2021 तक जो पर्यावरण को क्षति हुई है उसके जुर्माने का अलग से आंकलन कर, दोनो जुर्माने की राशि 23 नबम्बर को होने वाली अगली सुनवाई से पहले पर्यावरण राहत कोष में जमा कराए। साथ ही अगली सुनवाई से पहले राज्य शासन को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रस्ताव भेज। नदी व नालों के किनारे वृहद मात्रा में वृक्षारोपण कराए ओर ये सुनिश्चित करे कि किसी भी हालत में शहर से निकलने वाला दूषित पानी व अपशिष्ट पदार्थ नदी में ना मिले।