न्यायालय का फैसला: कटघरे में पुलिस, सामूहिक दुष्कर्म की जांच में लापरवाही

न्यायालय का फैसला: कटघरे में पुलिस, सामूहिक दुष्कर्म की जांच में लापरवाही

Bhaskar Hindi
Update: 2021-03-07 13:03 GMT
न्यायालय का फैसला: कटघरे में पुलिस, सामूहिक दुष्कर्म की जांच में लापरवाही


डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा।  विशेष सत्र न्यायालय ने नाबालिग पीडि़ता के साथ दुष्कर्म के एक मामले में दिए अपने निर्णय में पुलिस की जांच को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस मामले में पीडि़ता की गवाही और डीएनए रिपोर्ट उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म होने की कहानी कह रहे हैं। जबकि पुलिस ने केवल एक आरोपी के खिलाफ प्रकरण बनाकर न्यायालय में प्रस्तुत किया है। दो साल पहले शहर के लालबाग से अगवा की गई एक नाबालिग बच्ची को तीन लोगों ने अपने साथ परासिया के जंगल में ले जाकर तीन दिनों तक लगातार सामूहिक दुष्कर्म किया। उसके बाद मुख्य आरोपी हरिसिंग उर्फ हिर्री पिता साबूलाल खरे उम्र 29 वर्ष निवासी बड़कुही ने पीडि़ता को अपने घर ले गया, जहां से पीडि़ता एक अन्य महिला के सहयोग से थाने पहुंची। इस मामले में चांदामेटा पुलिस ने केवल हरिसिंग के खिलाफ प्रकरण बनाकर न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश करने का कोई प्रयास नहीं किया। इस मामले में न्यायालय ने पुलिस की जांच और जांच अधिकारी के इस कृत्य को लापरवाही बताकर पुलिस के आला अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
डीएनए टेस्ट में हुई सामूहिक दुष्कर्म की पुष्टि
पीडि़ता की मेडिकल जांच के बाद लिए गए सेंपल का डीएनए टेस्ट भी कराया गया। डीएनए जांच रिपोर्ट में पीडि़ता की बॉडी में तीन लोगों के सीमन पाए जाने की पुष्टि हुई है। यही बयान न्यायालय में पीडि़ता ने भी दिए, लेकिन जांच अधिकारी गोपाल घासले ने पूरक कथन लेकर अन्य दो आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है।
हॉस्टल में रहकर नवमी में पढ़ रही थी पीडि़ता
बेटियों की सुरक्षा से जुड़ा यह मामला अत्यंत गंभीर है। जिस बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ, वह शहर के एक स्कूल में नवमी की छात्रा थी और शहर के ही एक हॉस्टल में रहकर पढ़ रही थी। बच्ची 12 जनवरी 2019 को अपने गांव से आई और बस स्टैंड से उतरकर पैदल हॉस्टल जा रही थी, तभी उसे लालबाग के पास से वैन में अगवा किया गया।
आरोपी गैंग रेप का दोषी, अंतिम सांस तक कारावास
विशेष सत्र न्यायाधीश संध्या मनोज श्रीवास्तव ने इस गंभीर मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी हरिसिंह को पाक्सो एक्ट सहित नाबालिग से गैंग रेप का दोषी पाया है। न्यायालय ने आरोपी को तीन अलग-अलग धाराओं में आजीवन कारावास जो अंतिम सांस तक होगा, के साथ ही आईपीसी की दुष्कर्म, अपहरण व धमकी सहित 7 धाराओं में सजा और कुल 54 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
फैसले में तल्ख टिप्पणी...
जिस प्रकार अवयस्क बच्चों के संबंध में इस प्रकार के अपराधों में वृद्धि हो रही है तो इस न्यायालय को यह धारणा बनाने में संकोच नहीं है कि इस प्रकार के लचर अन्वेषण से अपराधी खुलेआम समाज में घूमते रहेंगे। आए दिन कभी भी किसी भी समय किसी भी बच्ची या अबोध बच्चियों से बलात्कार करते रहेंगे। ऐसा अनुसंधान अनुसंधान अधिकारी की कर्तव्य निष्ठा व ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
-जैसा न्यायालय ने अपने फैसले में लिखा।

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