पार्षदों ने रिश्तेदारों को दिए पीएम आवास , हो सकती है वसूली की कार्रवाई
पार्षदों ने रिश्तेदारों को दिए पीएम आवास , हो सकती है वसूली की कार्रवाई
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। हर्रई के बाद अमरवाड़ा की जांच रिपोर्ट भी अधिकारियों ने शासन को भेज दी है। अमरवाड़ा में भी पीएम आवास में दर्जनों गड़बड़ियां सामने आई है। 10 सभापति सहित पार्षदों के नाम सामने आए हैं। जिन्होंने अपने रिश्तेदारों को पीएम आवास योजना का लाभ दिलाया है। तीन सदस्यीय दल ने अपनी जांच रिपोर्ट पेश की थी। जिसके आधार पर कलेक्टर ने तमाम कार्रवाई का प्रतिवेदन बनाकर शासन को पेश कर दिया हैं अब फैसला भोपाल स्तर पर होना है।
सभापति सहित पार्षदों के खिलाफ शिकायत आई थी
पिछले दिनों अमरवाड़ा के सभापति सहित पार्षदों के खिलाफ शिकायत आई थी कि नियमों को ताक में रखकर यहां के जनप्रतिनिधियों ने रिश्तेदारों को पीएम आवास की सहायता राशि स्वीकृत कराई है। शिकायत के आधार पर कलेक्टर ने तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया था। जिसमें सभी उपयंत्रियों को शामिल किया गया। जांच रिपोर्ट में शिकायत सहीं पाई गई। सभापति-पार्षद सहित 10 लोगों के नाम सामने आए हैं जिन्होंने अपने रिश्तेदारों को पीएम आवास का लाभ दिलाया है। सभी का फैसला शासन स्तर पर होना है।
आलीशान मकानों के बाद पीएम आवास के प्रकरण किए स्वीकृत
जांच में अधिकारियों ने ये भी पाया कि आलीशान मकानों के बावजूद पार्षदों के रिश्तेदारों को पीएम आवास की राशि स्वीकृत कर दी गई है। जबकि पीएम योजना के नियमों में स्पष्ट है कि यदि किसी का मकान पहले से ही है तो पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिल सकता है।
अध्यक्ष भी लपेटे में
इस प्रकरण में अमरवाड़ा नगर पालिका अध्यक्ष भी लपेटे में है। हालांकि अध्यक्ष के किसी भी रिश्तेदार को पीएम आवास की राशि नहीं दिलाई गई, लेकिन जांच अधिकारियों का कहना है कि परिषद की सहमति से ही प्रकरणों को स्वीकृति प्रदान की गई है। ऐसे में पूरे मामले से अध्यक्ष को अलग नहीं किया जा सकता है।
छह महीने का बचा कार्यकाल
अमरवाड़ा नगर पालिका अध्यक्ष सहित पार्षदों का कार्यकाल सिर्फ छह महीने का ही बचा है ऐसे में ये तो तय है कि इन लोगों के खिलाफ धारा-40 के तहत कार्रवाई होना संभव नहीं है। धारा-40 की लंबी प्रक्रिया के चलते ये कार्रवाई इन पार्षदों के खिलाफ होना मुश्किल है।
क्या हो सकता है आगे
शासन ने यदि रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई को आगे बढ़ाया तो ये सभी पार्षद बड़े झमेले में फंस सकते हैं। अधिकारियों की मानें तो सभी के खिलाफ वसूली की कार्रवाई शासन स्तर से की जा सकती है। यदि ऐसा हुआ तो लाखों रुपए इन पार्षदों को जमा करने होंगे।