आजादी की लड़ाई में हिंदी सहित भाषाई अखबारों की महत्वपूर्ण भूमिका : CM

आजादी की लड़ाई में हिंदी सहित भाषाई अखबारों की महत्वपूर्ण भूमिका : CM

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-04 14:31 GMT
आजादी की लड़ाई में हिंदी सहित भाषाई अखबारों की महत्वपूर्ण भूमिका : CM

डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश की आजादी की लड़ाई में हिंदी सहित भाषाई अखबारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। व्यक्ति सारी संपन्नता हासिल करने के बाद अपनी जड़ों की ओर मुड़ता है। इसलिए भाषाई पत्रकारिता का वजूद कभी खत्म नहीं होगा। यह बात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कही। वे मुंबई हिंदी पत्रकार संघ की तरफ से आयोजित स्मारिका विमोचन व परिचर्चा मे बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाषाई पत्रकारिता ने स्वतंत्रता आंदोलन के समय से ही राष्ट्रीय एकता और अखंडता का निर्माण करने और अपनी संस्कृति के प्रति लगाव पैदा करने में अग्रणी भूमिका का निर्वहन किया है, इसलिए भाषाई पत्रकारिता की प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी। होटल ट्राइडेंट में आयोजित "भाषाई पत्राकारिता की प्रासंगिता’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी के मौके पर मुख्यमंत्री ने मुंबई हिंदी पत्रकार संघ की पहली स्मारिका ‘संवाद’ का विमोचन किया। 

15 वर्षों से मुंबई वालों को दिखाना चाहता था नागपुर
फड़णवीस ने कहा कि मैं 15 वर्षों से मुंबई वालों को नागपुर दिखाने की कोशिश कर रहा था। इसके पहले मुंबई हिंदी पत्रकार संघ के महासचिव विजय सिंह कौशिक ने कहा कि महाराष्ट्र में हिंदी के विकास में मराठीभाषियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के गृहनगर नागपुर के हिंदी पत्रकारों ने भी मुंबई हिंदी पत्रकार संघ से जुड़ने के लिए पत्र लिखा है।

हिंदी पत्रकारों को मिलेगा आशियाना
इस मौके पर पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कृपाशंकर सिंह ने मुंबई हिंदी पत्रकार संघ को कार्यालय उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री से मांग की। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की तरफ से हम संघ को आशियाना उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश करेंगे। समारोह के विशिष्ठ अतिथि योगायतन ग्रुप के अध्यक्ष डा राजेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता में ऐसे-ऐसे संपादकों को देखा है, जिनसें देश के बड़े-बड़े नेता भी भयभीत होते थे। उन्होंने कहा कि भाषाई पत्रकारिता का प्रासंगिकता को कोई खतरा नहीं पैदा हो सकता।

ताकतवर है भाषाई पत्रकारिता
गोष्ठी में पूर्व सांसद और चौथी दुनिया के संपादक संतोष भारतीय ने कहा कि मुझे इस बात का गर्व है कि मैं हिंदी का पत्रकार हूं। उन्होंने कहा कि हिंदी पत्रकारिता में वह ताकत है कि वह अपनी बात देशवासियों तक पहुंचा सके। संतोष भारतीय ने बताया कि जब मैं हिंदी पत्रिका रविवार में था, तो मेरी खबरें  अंग्रेजी में अनुवाद कर संडे में छापी जाती थी। वरिष्ठ पत्रकार विकास मिश्र ने कहा कि हमें भाषाई पत्रकारिता की कमियों को खोजने और उसे दूर करने की जरूरत है जिससे भाषाई पत्रकारिता की प्रासंगिकता पर विचार करने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हमें यह समझाने की कोशिश हो रही है। भाषाई होना, क्षेत्रीय होना एक अपराध की तरह है। इसी लिए हमें हिंदी अखबारों के साथ ग्लैमर के चार पेज छापने पड़ रहे हैं।   

बुद्धिजीवियों ने रखें विचार
मराठी न्यूज चैनल के संपादक प्रसाद काथे ने कहा कि मैं मराठी भाषी हूं लेकिन 15 वर्षों तक हिंदी न्यूज चैनल के लिए काम किया। उन्होंने कहा कि मेरी चिंता 2037 व 2047 की है। मैं सोचता हूं कि क्या तब तक भाषाई पत्रकारिता की प्रासंगिकता बनी रहेगी? उन्होंने कहा कि बहुत से मराठी परिवार मराठी में बातचीत नहीं करना चाहते। यह भाषाई पत्रकारिता पर  कुठाराघात है।  

उत्तर प्रदेश मान्यता पत्रकार सिमित के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की तरह महाराष्ट्र सरकार को भी पत्रकारों के कल्याण के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। ‘दोपहर का सामना’ के निवासी संपादक अनिल तिवारी ने कहा कि आज राष्ट्रवाद के मुखपत्र की जरुरत है। उन्होंने कहा कि भाषाई पत्रकारिता हमेशा से राष्ट्रवाद को महत्व देती रही है। आज पत्रकारिता मिशन से कमिशन तक पहुंच चुकी है। तिवारी ने कहा कि भाषाई पत्रकारिता की पहुंच देश की 90 फीसदी जनता तक है। मिड डे गुजराती के पूर्व संपादक सौरभ शाह ने कहा कि भाषाई पत्रकारों को अंग्रेजी पत्रकारों से कमतर नहीं समझना चाहिए।

मुंबई बंद के बावजूद ट्राइडेंट होटल का रीलग रूप खचाखच भरा था। समारोह में विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक राज पुरोहित, पूर्व विधायक अभिराम सिंह, राजहंस सिंह, अमरजीत मिश्र, अतुल शाह, श्वेता शालिनी, मोहित कम्बोज, युवा उद्यमी अमित वाधवानी, अजय सिंह, संतोष पांडेय आदि लोग मौजूद थे।

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