गैरकानूनी विवाह से जन्मी संतान का पूर्वजों की संपत्ति में बराबर अधिकार नहीं

गैरकानूनी विवाह से जन्मी संतान का पूर्वजों की संपत्ति में बराबर अधिकार नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-03 13:40 GMT
गैरकानूनी विवाह से जन्मी संतान का पूर्वजों की संपत्ति में बराबर अधिकार नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। किसी हिंदु व्यक्ति के अमान्य विवाह से जन्मी संतान का पूर्वजों की संपत्ति में वैध संतान के समान अधिकार नहीं होता है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में इस बात को स्पष्ट किया है। यदि कोई विवाहित होते हुए दूसरा विवाह करता है तो ऐसे विवाह को अमान्य विवाह माना जाता है। जस्टिस शालिनी फणसालकर जोशी ने स्पष्ट किया है कि हिंदु विवाह अधिनियम 1955 की धारा 16(1) अमान्य विवाह से जन्मी संतान को वैध संतना का रुतबा को प्रशस्त करती है, लेकिन उसे समान उत्ताराधिकारी का दर्जा नहीं प्रदान करती है। ऐसी संतान को अपने जन्म से संयुक्त परिवार की संपत्ति में समान अधिकार का हक नहीं मिलता है।

जस्टिस ने यह फैसला नाशिक निवासी शोभा शिंदे(परिवर्तित नाम) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया है। शिंदे के पति रमेश (परिवर्तित नाम) ने विवाहित होते हुए दूसरी शादी की थी। और दूसरी शादी से जन्मे दो बेटों के नाम पर पुश्तैनी संपत्ति स्थानांतरित  करने की तैयारी शुरु कर दी थी। इस पर आपत्ति जताते हुए शोभा शिंदे ने नाशिक की स्थानीय अदालत में आवेदन दायर किया था।

आवेदन में शिंदे ने कहा था कि उसकी बेटियों को अपने पिता की संपत्ति में एक चौथाई हिस्सा मिलना चाहिए। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद जस्टिस ने शिंदे के पक्ष में फैसला सुनाया। नाशिक की जिला न्यायालय ने भी शिंदे के पक्ष में फैसला सुनाया था जिसे हाईकोर्ट ने कायम रखा। 
 

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