सुदामा का चरित्र भागवत की आत्मा- आचार्य विजयप्रकाश दायमा

वाशिम सुदामा का चरित्र भागवत की आत्मा- आचार्य विजयप्रकाश दायमा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-11 11:59 GMT
सुदामा का चरित्र भागवत की आत्मा- आचार्य विजयप्रकाश दायमा

डिजिटल डेस्क, वाशिम। मित्र कैसे हो, यह भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा के जीवनचरित्र से स्पष्ट होता है । श्रीकृष्ण और सुदामा चरित्र का आदर्श सामने रखकर प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में निर्मल मन और नि:स्वार्थ भावन से मित्रता करते हुए उसका जतन करना चाहिए । मित्रों में स्वार्थ की कोई भी जगह नहीं होती । सुदामा चरित्र भागवत की आत्मा होने का प्रतिपादन आचार्य विजयप्रकाश दायमा ने स्थानीय अग्रसेन भवन में 9 अगस्त को आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में भक्ताें को मार्गदर्शन करते हुए किया । इस अवसर पर आचार्य दायमा ने आगे कहा कि भगवान कृष्ण और सुदामा में अटूट प्रेम और मित्रता थी । सुदामा के पोहे श्रीकृष्ण ने ग्रहण किए । मनुष्य को अपने जीवन का उद्देश सामने रखकर भगवान की शरण में जाना चाहिए । मानव को श्रध्दा, भक्ति और समर्पण भावना से भागवत कथा का श्रवण, मनन और पठण करना चाहीए । ऐसा करने पर ही सही मायनों मंे भगवान की प्राप्ति होंगी । बहन, पुत्री, मित्र और गुरु से मिलने के लिए जाते समय मनुष्य को कभी भी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए । साथ मंे कुछ ना कुछ भेंटवस्तू ले जानी चाहिए । दान करने पर सम्पत्ति बढ़ती है । इस अवसर पर आचार्य दायमा ने जीवन में सामाजिक तथा अच्छे कार्य करने का आव्हान किया । गुरुजनों और माता-पिता का आदर और सेवा करे, यही सच्चा धर्म होने की बात भी उन्होंने कही । इस अवसर पर गायत्री सत्संग परिवार में शामिल हुए समाजसेवी देवेंद्र खडसे पाटिल, शिवसेना नेता मुंबई मनपा नगरसेवक संजु आधारवाडे के साथही राज्यशासन का राज्यस्तरीय वसंतराव नाईक कृषिमित्र पुरस्कार मिलने पर निलेश सोमाणी का सत्कार किया गया । भागवत कथा के यजमान सौ. राधिका विठ्ठलदास तोष्णीवाल, सौ. भाग्यश्री गौरव बियाणी, सौ. कविता बालाप्रसाद शर्मा, सौ. राधिका राहुल लाहोटी है । कार्यक्रम का संचालन पंडित आनंद दायमा और निलेश सोमाणी ने किया।

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